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युवा संत दिव्य दर्शन मुनि का देवलोकगमन, गुणानुवाद सभा में दी श्रद्धांजलि

अजमेर, 12 अप्रैल (हि. स.)। आचार्य सुदर्शन लाल महाराज के शिष्य दिव्यदर्शन मुनि का शनिवार रात्रि 9.15 बजे उज्जैन के चेरिटेबल अस्पताल में उपचार के दौरान देवलोकगमन हो गया। कोरोना संक्रमण से मुनिश्री के देवलोकगमन के समाचार मिलते ही अजमेर के जैन समाज में शोक की लहर छा गई। जैनाचार्य ने अपने 20 वर्ष के दीक्षित जीवन में अनेक तपस्यायें की, सदैव ज्ञानार्जन में रत रहते थे, आगमों में उनकी विशेष रूचि थी। दिव्यदर्शन मुनि आचार्य सुदर्शनलाल महाराज के सांसारिक अनुज भ्राता थे। उनका जन्म 7 नवम्बर 1977 को बिजयनगर में हुआ, वे बिजयनगर में ही पले-बढ़े। उन्होंने 30 जनवरी 2001 को बिजयनगर के श्री प्राज्ञ महाविद्यालय में आयोजित भव्य दीक्षा महोत्सव में सांसारिक जीवन का त्याग कर आचार्यश्री सुदर्शनलाल महाराज से दीक्षा अंगीकार की। उनका 10 वर्ष पूर्व अजमेर में चातुर्मास हुआ जिसमें उन्होंने युवाओं को धर्म-ध्यान के लिए प्रेरित करते हुए उनके दिलों में धर्म के प्रति गहरी छाप छोड़ी थी। अल्पायु में आपके देवलोकगमन से जैन समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। प्रियदर्शन मुनि मसा आदि ठाणा-3 ने सोमवार प्रात: 6.15 बजे पुष्कर से विहार कर मणिपुंज सेवा संस्थान अजमेर में मंगल प्रवेश किया। मुनि के पावन सान्निध्य में दिवगंत दिव्यदर्शन मुनि को श्रद्धांजलि स्वरूप गुणानुवाद सभा का आयोजन सोमवार प्रात: 8 से 9 बजे तक मणिपुंज सेवा संस्थान बीके कौल नगर में हुआ। सभा में उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए वद्र्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष शिखरचंद सिंगी ने कहा कि दिव्यदर्शन मुनि यथा नाम तथा गुण थे। उनके दर्शन दिव्य थे। श्री प्राज्ञ जैन संघ के मंत्री पदमचंद खटोड़ एवं महिला मंडल की अध्यक्षा सुशीला पोखरणा ने दिवगंत आत्मा के जीवन परिचय से सभा को अवगत कराया। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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