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शराब से रूठ गए ठेकेदार, नीलामी में फिर बाकी रह गई दुकानें

उदयपुर, 24 मार्च (हि.स.)। आबकारी विभाग उदयपुर में शराब की दुकानों के लिए तीन बार ऑनलाइन नीलामी कर चुका है, लेकिन उदयपुर की 394 दुकानों में से 104 बुधवार को भी बाकी रह गई। इसके पीछे सरकार की आबकारी नीति से ठेकेदारों का खफा होना सामने आ रहा है। बुधवार को उदयपुर आबकारी विभाग ने शराब दुकानों की बिक्री के लिए तीसरी बार ऑनलाइन नीलामी की, लेकिन जिले की 394 दुकानों में से 104 बाकी रह गई। इसका कारण कुछ दुकानों की बोली नहीं लगना है तो कुछ नीलाम हो चुकी दुकानों की राशि जमा नहीं होना है। विभाग इन बची हुई दुकानों की होली के बाद फिर से नीलामी करेगा। शेष रही दुकानों में गुजरात सीमा से सटी दुकानों की संख्या ज्यादा है। उनके लिए ठेकेदारों की रुचि नहीं होने का कारण कम्पोजिट राशि का मोटा होना है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में गोगुन्दा में 15, खेरवाड़ा में 33, मावली में 4, सलूम्बर में 22, गिर्वा में 16 और शहर की 14 दुकानें बाकी रह गईं हैं। इन पर या तो बोली नहीं लगी या फिर बोली लगने के बाद ठेकेदार ने राशि जमा नहीं कराई है। आबकारी विभाग की प्रति वर्ष नई पॉलिसी के चलते ठेकेदार परेशान हैं। पिछले वर्ष लॉटरी के समय ठेकेदारों को विश्वास था कि अगले वर्ष फिर दुकानें उन्हें ही आवंटित कर दी जाएंगी जिससे वे ठेके की राशि की भरपाई कर सकेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आबकारी विभाग की नई नीति का शुरुआत से ही ठेकेदारों ने विरोध किया था, इसी का नतीजा है कि पिछले साल तक जहां एक ही बार में सारी दुकानों के ठेके उठ जाते थे, उसके लिए इस बार विभाग दो माह से पच रहा है और बार-बार ऑनलाइन बोली लगानी पड़ रही है। इस स्थिति पर आबकारी अधिकारी हेमेन्द्र नागर का कहना है कि यदि दुकानें नहीं उठती हैं तो विभाग अपने स्तर पर उन्हें संचालित करने का प्रयास करेगा। खासतौर पर गुजरात सीमा से सटी दुकानों पर ठेकेदारों ने इस बार रुचि नहीं दिखाई है, ऐसे में विभाग उन्हें भी अपने स्तर पर संचालित करने पर विचार कर सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर

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