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घटते मानवीय मूल्यों पर चिंता बढ़ा गए ‘‘मास्टर साहब’’, आज ‘करम पजोखी’ का मंचन

-उदयपुर के लोक कला मण्डल में चल रहा राजस्थानी नाट्य समारोह उदयपुर, 27 मार्च (हि.स.)। उदयपुर के प्रसिद्ध भारतीय लोक कला मण्डल में चल रहे राजस्थानी नाट्य समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार की शाम नाटक ‘‘मास्टर साहब’’ का मंचन हुआ। इस नाट्य ने समसामायिक परिस्थितियों में समाज में घटते मानवीय मूल्यों को उजागर करने के साथ ही सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया। संस्थान के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि लोक कला मण्डल, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर एवं दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे राजस्थानी नाट्य समारोह के दूसरे दिन गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित एवं डाॅ. लईक हुसैन द्वारा नाट्य रूपांतरित एवं निर्देशित नाटक ‘‘मास्टर साहब का मंचन हुआ। टैगोर ने समाज में फैली विद्रूपता, असामन्यता तथा मानवीय मूल्यों में हो रही कमी को समय-समय पर अपने नाटकों, कहानियों एवं चित्रों में प्रदर्शित किया है। नाटक ‘‘मास्टर साहब’’ की कहानी एक गरीब परिवार में पले-बढ़े, मासूम हरलाल पर केन्द्रित है। हरलाल की मां ने दूसरों के घरांे में काम कर के उसका पालन-पोषण कर उसे पढ़ाया-लिखाया। दूसरों के घरों में काम करते हुए उसकी मां को मिली प्रताड़नाओं के कारण ही हरलाल स्वभाव से दब्बू एवं झेंपू बालक रहा। पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए वह गांव से शहर आया और वहां एक साहूकार के घर पर उसके बच्चे को पढ़ाने व घर का छोटा मोटा काम करके वहीं रहने लगा। बच्चे को आत्मीयता के साथ पढ़ाते हुऐ वह उसके काफी निकट आ जाता है। उसकी यह निकटता साहूकार और उसके परिवार को अच्छी नहीं लगती है और इस कारण वह उसे अपने घर से निकाल देते हैं। कालांतर में वही छोटा बच्चा अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए हरलाल के घर से उसे बिना बताये उसके कार्यालय की राशि लेकर चला जाता है। रुपयों के कारण हरलाल को प्रताड़ित किया जाता है और वह इस आघात को सहन नहीं कर पाता है और इस संसार से विदा हो जाता है। नाटक की मुख्य भूमिका में शुभम आमेटा, अजय शर्मा, दीप राज सिंह बाघेला, ईशान टंडन, अशोक कुमार, जुजर नाथद्वारा, कुणाल मेहता, योगिता सोनी, दीपेन्द्र सिंह चुण्डावत, विभाष, प्रियल जानी, धारवी दीक्षित, मो. हाफिज, शिवांगी तिवारी, फरहाना खान, हुसैन आरसी, गीतिशा पांडे थे। संगीत - रामलाल भाट, भावना धादंडा, रईस खान, शुभम आमेटा, शालू वर्मा, दीपराज, अजय, लाइट - कृष्ण कुमार ओझा और मुश्ताख खान, ध्वनि - राजकुमार मोगिया, वेशभूषा - अनुकम्पा, नृत्य- शिप्रा चटर्जी का रहा। सहायक निदेशक - प्रबुद्ध पांडे थे। समारोह के अंतिम दिन शनिवार 27 मार्च को कुलदीप शर्मा, जयपुर द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘करम पजोखी’’ का मंचन किया जाएगा। समारोह की प्रस्तुति सायं 7ः 15 बजे प्रारम्भ होगी। संस्था के 1500 दर्शकों की क्षमता वाले मुक्ताकाशी खुले रंगमंच में मात्र 200 लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश निःशुल्क है। कोविड-19 की गाइड लाइन की अनुपालना अनुसार मास्क नहीं होने पर प्रवेश वर्जित है तथा प्रवेश पहले आओ पहले पाओ आधार पर ही उपलब्ध कराया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल

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