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दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं ऊंटनी के दूध से बने उत्पाद

बीकानेर, 29 जनवरी (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने शुक्रवार को कहा कि ऊंटनी के दूध से बने उत्पाद विशेष रुप से ऊंटनी के दूध की चॉकलेट, पनीर, मीठा दूध, किन्वित उत्पाद, आइसक्रीम, चाय, कॉफी दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। वहीं ऊंट से प्राप्त उत्पादों की लोकप्रियता, पर्यटकों के बीच दिन-ब-दिन बढ़ रही है इनमें चमड़े से बने उत्पाद, ऊंट की हड्डियों से निर्मित उत्पाद, ऊंटनी के दूध और इसके गोबर से बने उत्पाद शामिल है। साथ ही ऊंट के चमड़े से बने विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे पर्स, कैप, बेल्ट आदि पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हें। डॉ. साहू ने पत्रकार सम्मेलन में यह जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. आर.के.सावल, डॉ. एस.के.घोरुई, डॉ. सुमंत व्यास भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि ऊंटनी के दूध से बने उत्पाद सुगंधित दूध, चाय, कॉफी, कुल्फी, लस्सी, पनीर, बरफी, पेड़ा, खीर, आइसक्रीम, चीज विकसित किए गए हैं। ऊंटनियों का कच्चा दूध आमतौर पर राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में पीने के काम में लिया जाता है। इसे उबालने के बाद चाय, कॉफी और अन्य मिठाईयों को बनाने के काम में भी लिया जाता है। ऊंटों से संबद्ध इस अनुसंधान संस्थान ने ऊंटों के विभिन्न पहलूओं पर गहन अनुसंधान किया है। इस केंद्र का लाभ न केवल भारत बल्कि उष्ट्र बाहुल्य देशों को भी मिल रहा है। ऊंटनी का दूध मधुमेह (डायबिटीज), क्षय रोग, ऑटिज्म के प्रबंधन में कारगर साबित हुआ है। ऊंटनी का दूध और फ्रीज-ड्राई पाऊडर विभिन्न राज्यों में डॉ. साहू के अनुसार ऊंटनी का दूध और फ्रीज-ड्राई पाऊडर अब विभिन्न राज्यों में परिवहन साधनों और पूरे देश में ऑनलाइन बिक्री के माध्यम से विभिन्न उद्यमियों तक पहुंचाया जा रहा है और कुछ उद्यमियों द्वारा तैयार किए गए चॉकलेट के उत्पादों ने कई सुपर बाजारों में प्रवेश किया है। देश में ऊंटनी के दूध का वर्तमान उत्पादन और बिक्री लगभग 1100 लीटर प्रतिदिन है, हालांकि शुष्क पारिस्थितिकी के तहत क्षमता को 20 गुना बढ़ाने की व्यापक गुंजाइश है जो भारत में विभिन्न प्रकार की उद्यमशीलता से आय उत्पन्न करने में मदद कर सकती है। ऊंट को पर्यटन-मनोरंजन से जोडऩे के लिए स्थापित कर रहे नए आयाम डॉ साहू ने कहा कि बदलते परिदृश्य में ऊँट पर्यटन-मनोरंजन आदि से जुड़े ऐसे अनेकानेक नए आयामों के रूप में भी स्थापित करना समय की मांग है। ऊँट प्रजाति में ऐसी अनेकानेक प्रबल संभावनाएं विद्यमान हैं जिससे ऊँट पालक भाइयों की आमदनी में बढ़ोतरी की जा सकती है तो निश्चित तौर पर वे इस व्यवसाय से जुड़े रहेंगे। पारिस्थिकीय पर्यटन (इको.टूरिज्म) को बढ़ावा देने हेतु केन्द्र द्वारा ऊँट संग्रहालय, उष्ट्र सवारी, ऊँट.गाड़ी सवारी, उष्ट्र दुग्ध डेयरी, उष्ट्र दुग्ध पार्लर, उष्ट्र बाड़ों के भ्रमण जैसी विविध गतिविधियां नियमित तौर पर संचालित किए जाने के अलावा ऊँट दौड़ प्रतियोगिता भी समय-समय पर आयोजित की जाती रही है। हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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