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भाजपा के लिए आसान नहीं उपचुनाव की राह, अपनों को एकजुट करना बड़ी चुनौती

जयपुर, 01 अप्रैल (हि. स.)। राजस्थान में तीनों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों की तैयारियां तेज हो गईं हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी तीनों सीटों पर आधिपत्य जमाने के लिए कवायद शुरू कर दी है, लेकिन इस बार सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद में जीत का स्वाद चखना भाजपा के लिए उतना आसान नहीं होगा, जितना माना जा रहा है। 17 अप्रैल को उपचुनाव है लेकिन इसमें जीत हासिल करने के लिए भाजपा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस बार पार्टी को केवल कांग्रेस या राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से ही नहीं, बल्कि अपनों से भी भीतर घात की चुनौती मिलने की आशंका हैं। सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा उपचुनाव 17 अप्रैल को है। इससे पहले भाजपा, कांग्रेस और आरएलपी ने जीत के लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है। भाजपा चाहेगी कि उपचुनाव जीतकर आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ सत्ता में काबिज हो लेकिन उपचुनाव का यह सफर इतना आसान नहीं है जिसमें कमल खिल सके। भाजपा के सामने सरकारी मशीनरी के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी के खिलाफ जनाधार जुटाना बड़ी चुनौती होगी। साथ ही केंद्र की उपलब्धियों को भुनाकर वोट प्राप्त जुटाना भी आसान नहीं होगा। रसोई गैस पर सब्सिडी बंद होने के बाद आम गृहिणी से वोट लेना भी चुनौतीपूर्ण होगा। वसुंधरा राजे व उनसे जुड़े खेमे की नाराजगी के बीच उप चुनाव की वैतरणी पार करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी, जबकि सचिन पायलट की तुलना में भाजपा के पास जनाधार वाला गुर्जर नेता भी नहीं है। वहीं चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी प्रत्याशियों के खड़े होने पर जाट वोटरों का ध्रुवीकरण भी समस्या खड़ी कर सकता है। इसके अलावा कई अन्य जटिल समस्याएं हैं जो भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं। भाजपा प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा इन उपचुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को ही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं। उपचुनाव में नामांकन कार्यक्रम के चुनावी पोस्टर और होर्डिंग से वसुंधरा राजे का फोटो गायब होना चर्चा का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे समर्थक फिलहाल नाराज हैं और उपचुनाव में उन्हें मनाना और अपने साथ जोडक़र उपचुनाव के जीत की राह आसान बनाना भी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा पार्टी को एकजुट बताते हैं और पोस्टर विवाद को कांग्रेस की देन बताते हैं। राजस्थान के तीन विधानसभा सीटों के लिए 30 मार्च को अंतिम दिन 37 प्रत्याशियों ने 51 नामांकन पत्र दाखिल किए है। इसके साथ ही अब तीनों सीटों पर कुल प्रत्याशियों की संख्या 53 हो गई है। तीनों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशियों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। तीन अप्रैल को नामांकन वापसी की तिथि है। इसके बाद उपचुनाव के लिए मैदान में रहने वाले अंतिम दावेदारों की संख्या भी तय हो जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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