Breath campaign launched to protect children from pneumonia
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बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सांस अभियान का शुभारंभ

झुंझुनू, 05 जनवरी(हि.स.)। बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया रोग से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार से जिले में विशेष जागरुकता अभियान सांस (सोशल अर्वेनेश एंड एक्शन प्लान टू न्यूट्रेलाईज निमोनिया सक्सेसफुल) शुरू किया। कलेक्टर उमरदीन खान ने मंगलवार को बीडीके अस्पताल से इसका शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि निमोनिया के लक्षणों को आमजन तक पहुचा कर बच्चों के इलाज में देरी को रोकना है। सभी कार्मिक बच्चों को निमोनिया से बचाने में अपनी भूमिका निभाए। सीएमएचओ डॉ छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में जागरूक करना है ताकि बच्चे के गम्भीर अवस्था में पहुंचने से पहले ही इलाज शुरू किया जाकर जान बचायी जा सके। आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, ग्राम सेवक, पटवारी आदि के माध्यम से आमजन को इसके लक्षणों और निमोनिया की पहचान के बारे जानकारी देकर जागरूक किया जायेगा ताकि आमजन को इन लक्षणों की जानकारी मिल सके। लोग जागरूक बने ओर निमोनिया से होने वाली मौतों को रोको जा सके। आरसीएचओ डॉ दयानंद सिंह ने बताया कि निमोनिया के मुख्य लक्षण चार है खांसी जुकाम का बढ़ना, बच्चे का तेजी से सांस लेना, सांस लेते समय पसली चलना या छाती का नीचे धँसना और तेज बुखार होना। उपरोक्त लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को तुरंत नजदीकी चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए ताकि बच्चे को निमोनिया के खतरे से बचाया जा सके। इन लक्षणों के दिखाई देने पर घरेलू इलाज में वक्त कभी नही गवाना चाहिए। निमोनिया कितना खतरनाक है इस बात की गवाही आकंंड़े देते हैं। निमोनिया अन्य संक्रामक बीमारियों से ज्यादा खतरनाक है। राजस्थान में सालाना 5 वर्ष से छोटी आयु को 1लाख 82 हजार बच्चों को निमोनिया अपना शिकार बना लेता है जिसमे से 9 हजार 200 बच्चों की निमोनिया की वजह से अकाल मौत हो जाती हैं। निमोनिया से होने वाली यह मौत 5 साल तक बच्चों की होने वाली कुल असमय मौत का 14 प्रतिशत है। निमोनिया के कारणों में कुपोषण, सुरक्षित पेयजल की कमी, स्वच्छता का अभाव, प्रदूषण आदि शामिल है। हिन्दुस्थान समाचार / रमेश/संदीप-hindusthansamachar.in

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