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भाजपा शासित राज्य रिकार्ड वैक्सीनेशन को लेकर बंद करें दिखावा : गहलोत

जयपुर, 29 जून (हि.स.)। पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सप्लाई के बाद अब वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र और राजस्थान सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। गहलोत ने कहा कि पीएम मोदी ने 21 जून से वैक्सीन लगाने का महाअभियान तो आरंभ कर दिया, लेकिन राजस्थान के साथ वैक्सीन देने में भेदभाव किया। इससे हमें बार-बार वैक्सीनेशन अभियान रोकना पड़ रहा है। गहलोत ने वैक्सीनेशन अभियान में भाजपाशासित राज्यों में हो रहे दिखावे की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने वैक्सीनेशन महाअभियान कार्यक्रम को ध्यान में रखकर 21 जून के पहले वाले सप्ताह में जान-बूझकर सिर्फ कुछ हजार लोगों को ही वैक्सीन लगाई और वैक्सीन का स्टॉक बचाकर रखा। अब इन राज्यों में रोज लाखों वैक्सीन लगाकर रिकॉर्ड बनाने का भ्रम फैलाया जा रहा है। जैसे मध्य प्रदेश ने 18 जून को 15 हजार, 19 जून को 22 हजार, 20 जून को 692 वैक्सीन ही लगाई, लेकिन 21 जून को 16 लाख वैक्सीन लगा दी। ये लोगों के जीवन को बचाने का अभियान है जिसमें किसी दिखावे की आवश्यकता नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत ने केंद्र सरकार से राजस्थान के लिए वैक्सीन सप्लाई अविलंब बढ़ाए जाने की मांग करते हुए कहा कि वैक्सीन सप्लाई में केंद्र सरकार राजस्थान के साथ भेदभाव बंद करे, जिससे वैक्सीनेशन कार्यक्रम को तेज किया जा सके। केंद्र सरकार की ओर से 21 जून से 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने और वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति के ऐलान के बावजूद ऐसा नहीं हो रहा है, जो कि दुखद है। राजस्थान को आवश्यकतानुसार वैक्सीन नहीं मिलने के कारण बार-बार वैक्सीनेशन को रोकना पड़ रहा है। प्रदेश में अभी तक लगभग 2 करोड़ 44 लाख वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है और प्रतिदिन 15 लाख वैक्सीन लगाने की क्षमता है। अगर केंद्र सरकार समय पर वैक्सीन उपलब्ध करवाए तो समय रहते राजस्थान वासियों को वैक्सीन लगवाई जा सकती है। इससे कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को टाला जा सकता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को प्रेस नोट जारी कर बताया कि 26 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राजस्थान में वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की गई थी। अब तक प्रदेश में 2 करोड़ 5 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। इनमें से करीब 75 लाख लोगों को दूसरी डोज जुलाई में लगनी है, लेकिन मांग के अनुरूप अभी तक सिर्फ 65 लाख वैक्सीन की डोज ही आवंटित की गई है। इनमें से भी 16 लाख डोज निजी अस्पतालों को आवंटित की जाएंगी। यदि समय रहते राजस्थान को अधिक वैक्सीन की आपूर्ति नहीं हुई, तो पहली डोज लगाने का काम रोकना पड़ेगा और बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी डोज भी समय पर नहीं लग सकेगी। सीएम ने बताया कि वैक्सीनेशन की शुरुआत से ही राजस्थान अव्वल रहा है। यहां सबसे पहले 50 लाख वैक्सीन और दूसरे स्थान पर एक करोड़ वैक्सीन लगाए गए थे। यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में लोगों की दूसरी डोज लगना बाकी है। केंद्र सरकार को राजस्थान को अविलंब 1.50 करोड़ वैक्सीन की डोज भेजनी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी वैक्सीन के वितरण में पारदर्शिता रखनी चाहिए और राज्यों को सप्लाई की जा रही वैक्सीन की जानकारी भी सार्वजनिक करनी चाहिए। इससे राज्यों को होने वाली वैक्सीन की आपूर्ति के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान भौगोलिक रूप से देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां गांवों की दूरी भी काफी अधिक है। यहां वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन में अधिक समय लगता है। एक बार प्रदेश में वैक्सीन खत्म होने पर ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज के समय के कारण दोबारा कार्य सुचारु होने में दो से तीन दिन का समय लगता है, जिससे वैक्सीनेशन का कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य कर्मचारियों के बेहतर प्रबंधन का नतीजा है कि प्रदेश में वैक्सीन का वेस्टेज नेगेटिव (-0.27 प्रतिशत) है। मतलब साफ है कि केंद्र सरकार से जितनी डोज मिलीं उससे अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई गई हैं। हालांकि, कुछ लोगों ने जानकारी के अभाव में नेगेटिव वेस्टेज की आलोचना करने का असफल प्रयास भी किया। राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में आमजन में वैक्सीन को लेकर झिझक बेहद कम है। जनप्रतिनिधियों ने भी इसमें भूमिका निभाई है और ये सभी धन्यवाद के पात्र हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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