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राजधानी जयपुर में हुआ माहौल बसन्ती:हुए धार्मिक आयोजन,मां शारदे की पूजा अर्चना

जयपुर,16 फरवरी (हि.स.)। बसन्त पंचमी के अवसर पर मंगलवार को पूरा माहौल बसन्ती सा नजर आया। यूं लग रहा था कि जैसे धरती ने पीले वस्त्रों की चादर ओढ़कर मां शारदे की अराधना की हो। खेतों में सरसों के पीले फूल कुछ ऐसा ही आभास दे रहे हैं। बसन्त पंचमी के अवसर पर शहर में अनेकों धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। स्कूलों में मां शारदे का विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन कर वन्दना की गई। इसके अलावा शहर के धार्मिक स्थलों और मंदिरों में भगवान को नई और पीले रंग की पौशाक ओढ़ाई गई। जयपुर के अराध्य गोविन्द देव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई। मंगला झांकी पर इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस दिन सुबह मंदिरों में ठाकुरजी का अभिषेक कर पीत वस्त्र धारण करवा कर पीले पुष्पों से शृंगार किया गया। इसके साथ ही राजभोग झांकी के दौरान पीले व्यजनों का भोग लगाया गया। वहीं मंदिर परिसर को भी पीत पताकाओं एवं बांदरवालों से सजाया गया। घरों में पीले चावल बनाकर मां सरस्वती को भोग लगाया जाएगा। ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देवजी में बसंतोत्सव पर पाटोत्सव मनाया आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर में श्रृंगार झांकी के बाद महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में मां भगवती सरस्वती देवी का जगमोहन में पूजन किया गया। ठाकुर जी मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि, बसंत पंचमी को मंदिर का पाटोत्सव मनाया गया, जिसके साथ ही सुबह की मंगला, धूप, श्रृंगार और राजभोग झांकी के समय में भी परिवर्तन किया गया है। प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि मंदिर महंत के सान्निध्य में सुबह 4:45 से 5 बजे तक राधारानी-ठाकुरजी का अभिषेक किया गया। इस अवसर पर तिथि पूजन भी हुआ। इसके साथ ही भक्तों को अभिषेक पंचामृत मंदिर के निकास द्वार से वितरित किया किया । धूप झांकी खुलने से पहले अधिवास पूजन किया गया। इसके बाद धूप आरती की गई। शृंगार झांकी के बाद ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन पश्चिमी परिक्रमा में ठाकुरजी के चित्रपट के समक्ष हुआ। इसके बाद राजभोग आरती की गई। बसंत पंचमी होने की वजह से राधारानी और ठाकुरजी को पील रंग की मनोहारी पोशाक धारण करवाई गई। शृंगार में भी गेंदा और अन्य पीले रंग के पुष्पों का उपयोग किया गया। केसर मिश्रित खीर से ठाकुरजी को भोग अर्पित किया गया। श्रद्धालुओं को अभिषेक क पंचामृत प्रसाद के रुप में वितरित किया किया। पाटोत्सव के उपलक्ष्य में सुबह की झांकियों के समय में परिवर्तन किया गया। वहीं, शाम की ग्वाल से शयन झांकी तक बदलाव नहीं हुआ। झांकी का परिवर्तित समय मंगला झांकी 4 से 4:15,धूप झांकी 8:30 से 9:45,शृंगार झांकी 10:15 से 11,राजभोग झांकी 11:45 से 12:15 तक की रही। इन मन्दिरों में भी मनाया गया बसंतोत्सव पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज परिसर में पीठाचार्य माधुरी अलबेली शरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर श्रीराधा सरस विहारी जू सरकार का अभिषेक कर पीत पोशाक धारण कर ऋतु पुष्पों से शृंगार कर आरती की गई। सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बडे भैया ने बताया इस मौके पर आचार्य पीठ का विधिवत-पूजन किया गया। साथ ही वाणी पूजन, साज-बाज का पूजन व आरती कर ठाकुरजी को फाग का निमंत्रण दिया गया।दोपहर तीन बजे आचार्य अलबेली माधुरी शरण महाराज ठाकुरजी को गुलाल धारण करवाई व केसरिया खीर भोग व केसरिया व्यंजन भोग अर्पण की गई। गलतागेट स्थित मंदिर श्री गीता गायत्री में पंडित राजकुमार शर्मा के सान्निध्य में बसंत पंचमी महोत्सव मनाया गया। बड़ी चौपड़ स्थित देवस्थान विभाग के श्री लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर, चांदनी चौक स्थित ब्रजनिधिजी का मंदिर, रामगंज स्थित लाडलीजी मंदिर, गोनेर स्थित लक्ष्मी जगदीश मंदिर, गोनेर रोड स्थित राधाकृष्ण मंदिर, चांदपोल बाजार स्थित मंदिर श्री रामचंद्रजी में, घाट के बालाजी सहित शहर के मंदिरों में बसंतोत्सव मनाया गया। वहीं खोह नागोरियान पहाड़ी पर स्थित आशावरी माताा मंदिर का वार्षिकोत्सव व बसंत पंचमी महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर माता का पीले पुष्पों से शृंगार कर पीले व्यंजनों का भोग लगाया गया। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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