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जिला कलेक्टर के निर्देशों पर की गई शिक्षण व्यवस्था पर रोक

जोधपुर, 08 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा सिरोही के शिक्षण व्यवस्था के आदेश पर अंतरिम रूप से रोक लगाते हुए जिला कलेक्टर सिरोही व प्राथमिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किए है। प्रार्थी भरत टोंक जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा सिरोही के अध्यधीन राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय तहसील आबूरोड, जिला सिरोही में अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल द्वितीय के पद पर कार्यरत है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा द्वारा उसका शिक्षा शिक्षण व्यवस्था के तहत स्थानान्तरण राजकीय प्राथमिक विद्यालय खारा तहसील आबूरोड में कर दिया गया। इस आदेश दिनांक 01.04.2021 में जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट रूप से अंकित किया कि यह शिक्षण व्यवस्था कलेक्टर सिरोही के निर्देशानुसार की जा रही है। विभाग के आदेश 1 अप्रेल 2021 से प्रताडि़त होकर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। प्रार्थी के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि प्रथमत: प्रार्थी अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल द्वितीय के पद पर कार्यरत है अत: उसे शिक्षण व्यवस्था के तहत प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित नहीं किया जा सकता है क्योकि अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल द्वितीय का पद प्राथमिक विद्यालय में स्वीकृत ही नहीं होता है। प्राथमिक विद्यालय केवल कक्षा 1 से पांच तक ही संचालित होता है। वहां अध्यापक ग्रेड तृतीय लेवल प्रथम का पद ही स्वीकृत होता है। वहां कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थी ही अध्ययन करते है। दूसरा शिक्षा विभाग में कलेक्टर का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। कलेक्टर शिक्षा विभाग के लिए कोई आदेश नहीं कर सकता तथा वह शिक्षा विभाग के लिए सक्षम अधिकारी नहीं है। उसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा सिरोही द्वारा कलेक्टर के निर्देश पर शिक्षण व्यवस्था करना अनुचित व विधि विरूद्व है। प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने प्राथमिक शिक्षा विभाग व कलेक्टर सिरोही को जवाब तलब करते हुए विवादस्पद आदेश दिनंाक 01.04.2021 पर तुरंत रोक लगा दी है। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश

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