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हंगामे के बाद स्थगित हुई विधानसभा, अध्यक्ष की सीख के बाद हुई शांति

जयपुर, 04 मार्च (हि. स.)। राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को बजट पर बहस के आखिरी दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष में पैदा हुए गतिरोध से हुए हंगामे के बाद सदन की कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की सीख के बाद सुचारू हो गई। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल तथा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने का फर्ज निभाएंगे। कटारिया के प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री के जवाब का समय एक घंटे आगे बढ़ा दिया। विधानसभा में प्रश्नकाल के साथ कार्यवाही शुरू होने के बाद गुरुवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व आमेर विधायक सतीश पूनियां ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष आमने-सामने हो गया था। विपक्ष के सदस्यों के वैल में आकर नारेबाजी करने के बाद सभापति राजेन्द्र पारीक ने सदन की कार्रवाई आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी थी। दोपहर 1.57 मिनट पर सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई। आसन पर आसीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने नेता प्रतिपक्ष कटारिया और संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल को सदन सुचारू चलाने की सीख दी। संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने उन्हें बताया कि सदन को सुचारू चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है और सत्ता पक्ष इसे मानता भी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि विपक्ष पूरी तरह गैर जिम्मेदार हो जाएं। नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने भी कहा कि विपक्ष कतई नहीं चाहता है कि सदन में किसी तरह का गतिरोध पैदा हो, क्योंकि उन्हें भी जनप्रतिनिधि होने के नाते अपने-अपने क्षेत्रों में पहुंचकर देना होता है। उन्होंने कहा कि सभी चाहते है कि जनता ने जिन्हें चुनकर भेजा है, वे उनकी समस्याओं को सरकार पर दवाब बनाते हुए सदन में रखें। उनकी समस्याओं का निदान हो। सत्ता पक्ष के साथ संसदीय कार्य मंत्री और अन्य मंत्रियों का व्यवहार उचित नहीं था। उन्होंने चेताया कि सत्ता पक्ष यदि इसी तरह व्यवहार करता रहा तो तीन साल तक सदन नहीं चल सकेगा। उन्होंने चैलेंज किया कि वे और उनके दल ने यदि ठान ली तो एक दिन भी सदन नहीं चलने दिया जाएगा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने दोनों पक्षों को सीख दी। उन्होंने कहा कि सदन में बोलने के लिए पर्ची व्यवस्था लागू है। जिसे भी किसी बात पर आपत्ति हो, वह पर्ची के माध्यम से सदन से अनुमति ली। मंत्रियों को यह अधिकार नहीं है कि वे किसी भी सदस्य के बीच में बोले। उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री धारीवाल को इसके लिए नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष राज करता है और जो राज करता है, उसे दूसरों को सुनना पड़ेगा। अगर नहीं सुनना चाहते हैं तो लोकतंत्र से विश्वास उठ जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने कहा कि विपक्ष के लोग जब असत्य बोलते हैं, तब उत्तेजना पूर्वक कोई बोल जाता है। उन्होंने सत्ता पक्ष के लोगों से बीच में नहीं बोलने के लिए अपील भी की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे नियमों से चलेंगे और किसी भी नई परंपरा का निर्वहन नहीं करेंगे। अगर संसदीय कार्य मंत्री को यह लगता है कि किसी असत्य बात पर कोई मंत्री बोलना चाहता है तो वे नियम-कानून के तहत अनुमति देंगे। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि बहस तर्कों के आधार पर होनी चाहिए। यहां कोई गलत बोलेगा तो जनता उन्हें जवाब दे देगी। पक्ष-विपक्ष को सदन की गरिमा बनाकर रखनी होगी। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री के जवाब के लिए एक घंटा समय बढ़ाने की मांग की। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अदालत में होने वाली बहस का हवाला देते हुए कहा कि जब कोर्ट में एक वकील किसी दूसरे वकील के वक्तव्य के समय का पूरा सम्मान करता है तो फिर हम तो कोर्ट से बड़े हैं। हमारी जिम्मेदारियां ज्यादा है। उन्होंने प्रतिपक्ष नेता के सवालों और मुख्यमंत्री के जवाब के लिए एक घंटे का समय बढ़ाने की घोषणा की। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित

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