39karam-pazokhi39-proved-luck-to-be-the-fruit-of-karma
39karam-pazokhi39-proved-luck-to-be-the-fruit-of-karma

भाग्य को कर्म का फल साबित कर गया ‘करम पजोखी’

उदयपुर के लोक कला मण्डल में राजस्थानी नाट्य समारोह सम्पन्न उदयपुर, 28 मार्च (हि.स.)। उदयपुर के भारतीय लोक कला मण्डल में चल रहे तीन दिवसीय राजस्थानी नाट्य समारोह का समापन शुक्रवार रात को हुआ। अंतिम दिन मंचित हुए नाटक ‘‘करम पजोखी’’ ने भाग्य को कर्मों का फल बताते हुए कर्म करने का संदेश दिया। भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर एवं दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे राजस्थानी नाट्य समारोह के अंतिम दिन नाट्यधर्मी कला संस्था, जयपुर द्वारा कुलदीप शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘करम पजोखी’’ का मंचन हुआ। पजोखना शब्द राजस्थानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है आजमाना अर्थात करम पजोखी का मतलब हुआ कर्म को आजमाना। नाटक में बुद्धि नाम के युवक को परिस्थितिवश कुछ सोने की मोहरें मिलती है, जिन्हें वह गंवा देता है। मोहरें गंवाने का कारण उसे भाग्य लगता है और वह निकल पड़ता है भाग्य व उसकी लेखनी की गुत्थी सुलझाने के लिए। इस दौरान उसे गुरु मिलते हैं जो उसे ज्ञान देते हैं, लेकिन गुरु की संतानें भी दुर्भाग्यशाली होती हैं और यह बात जब बुद्धि को पता चलती है तो वह भाग्य को बुद्धि बल तो कर्म को अपनी मेहनत के माध्यम से हराने की ठान लेता है। अंततः वह भाग्य देवता को हराकर ही दम लेता है। नाटक की मुख्य भूमिका में नेहा धाकड़, अंकित शर्मा, मधु देवासी, मानस मोखाल, रमन आचार्य, निधी जैन, अभिषेक बैरवा, उस्मान तंवर, दीपक शर्मा, लक्ष्मी जलुद्रियां, राहुल पंवार, प्रथम मित्तल, अनमोल दीप, क्षितिज कुमार, प्रभा शर्मा, संजय आदि थे। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in