राजस्थान में पिछले तीन वर्षों में बाल श्रम के 1713 प्रकरण दर्ज, 4399 बालश्रमिक मुक्त

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जयपुर, 26 फरवरी (हि.स.)। राजस्थान में विभिन्न उद्योगों, फैक्ट्रियों, दुकानों, राजमार्गों पर बने ढाबों और घरों में चलने वाले लघु एवं कुटीर उद्योगों से गत तीन वर्षों में 4399 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है। यह जानकारी श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली ने विधान सभा में शेरगढ़ विधायक मीना कंवर के लिखित प्रश्न जवाब में दी है। श्रम मंत्री ने बताया कि दिसम्बर 2018 से जनवरी 2021 तक प्रदेश में नाबालिग बच्चों से बाल श्रम करवाये जाने के 1713 प्रकरण दर्ज हुए हैं और 4399 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 221 प्रकरण राजधानी जयपुर में दर्ज कर 1028 बालश्रमिकों को मुक्त करवाया है। जबकि कोटा में सात प्रकरण दर्ज कर 689 और उदयपुर में 178 मामले दर्ज कर 463 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया है। वहीं सबसे कम बालश्रम के सात प्रकरण टोंक में सामने आए हैं। करौली में 9 प्रकरण में सबसे कम 9 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है। श्रम राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने बाल श्रम की रोकथाम के लिए मानक संचालन प्रक्रिया निर्धारित कर विभिन्न विभागों की भूमिकांए तय की है। इस क्रम में श्रम विभाग द्वारा राज्य के समस्त जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला बाल श्रम टास्क फोर्स का गठन करवाया जा चुका है, जिसकी नियमित बैठकें होती है। बाल श्रम टास्क फोर्स को सभी सरकारी व गैर विद्यालयों के बाहर चाइल्ड हैल्पलाईन नं. 1098 के स्लोगन लिखवाने निर्देश जाते है। बालश्रम की रोकथाम के लिए विगत तीन वर्षों में ऑपरेशन खुशी प्रथम, ऑपरेशन खुशी द्वितीय, ऑपरेशन खुशी तृतीय, ऑपरेशन आशा, ऑपरेशन आशा प्रथम, विशेष अभियान ऑपरेशन आशा द्वितीय और ऑपरेशन मिलाप चलाए गए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप

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