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किसान आंदोलन : झंडे बने हजारों बेरोजगारों के लिए रोजगार का साधन

चंडीगढ़ , 06 फरवरी (हि.स.) । किसान आंदोलन के चलते पंजाब में व्यपारिक घाटे की बातें हो तो रही हैं लेकिन राज्य में हजारों बेरोजगार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने आंदोलन से ही रोजगार के साधन ढूंड लिए हैं। पंजाब में इन दिनों सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में ऐसे प्रवासी लोग नजर आ जाएंगे, जिनकी रोजी रोटी का सहारा ही अब किसान आंदोलन के झंडे बन गए हैं। ये वो प्रवासी हैं जो प्रत्येक वर्ष राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश से रोज़गार की उम्मीद में पंजाब आते हैं। जयपुर से आयी गीता ने चंडीगढ़ के साथ मोहाली में सड़क के किनारे झंडे लगा रखे हैं। उसे झंडों में लिखे लफ्जों का चाहे कुछ पता नहीं है, परन्तु वह लोगों की भावनाओं को अच्छी तरह समझ लेती है। एक झंडे में से उसे पांच से दस रुपये बच जाते हैं। उसका कहना है कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए वो अपना मुनाफा कम कर लेती है या फिर मुनाफा छोड़ भी देती है। वह वाहनों पर खुद ही झंडे लगाती है। गीता बताती है उस जैसे हज़ारों मजदूर लोग एक सीजन में रोज़गार के लिए पंजाब आते हैं। स्वतन्त्रता दिवस अथवा गणतंत्र दिवस की तरह ही अब किसानों और राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री हो रही है। गीता जैसे हज़ारों लोग ही विभिन्न शहरों के चौक में झंडे बेचते नज़र आ रहे हैं। तीन दिन पूर्व शादी करके आये रुपिंदर सिंह चंडीगढ़ को भी अपनी महंगी गाड़ी में किसान आंदोलन का झंडा लगाना अच्छा लग रहा है। उसका कहना था कि वो केंद्र सरकार से ये ही अपील करते हैं कि उनके प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र कृषि कानूनों को रद्द करें। उनके अनुसार, वाहन पर झंडा लगाना अपनी भावनाओं को प्रकट करना है। हिन्दुस्थान समाचार/ नरेंद्र जग्गा-hindusthansamachar.in

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