डेरे का दर्द , 2007 में कांग्रेस का समर्थन तो निशाना , साल 2017 में अकालियों का समर्थन तो निशाना
डेरे का दर्द , 2007 में कांग्रेस का समर्थन तो निशाना , साल 2017 में अकालियों का समर्थन तो निशाना

डेरे का दर्द , 2007 में कांग्रेस का समर्थन तो निशाना , साल 2017 में अकालियों का समर्थन तो निशाना

बेअदबी मामला: डेरा के वकीलों ने सरकार व पुलिस पर उठाए सवाल चंडीगढ़, 13 जुलाई ( हि स ) : पंजाब में घटित हुए गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) जांच कर रही है और जिसका फैसला अभी सीबीआई अदालत में विचाराधीन है। सीबीआई अपनी क्लोजर रिपोर्ट में आरोपित सभी डेरा श्रद्धालुओं को बेगुनाह बता चुकी है ऐसे में पंजाब पुलिस की स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम (एसआईटी) को इस मामले में जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। यह आरोप डेरा प्रेमियों के वकील विवेक कुमार, एडवोकेट केवल बराड़ और पंजाब राज्य स्टेट कमेटी के सदस्य हरचरण सिंह ने सोमवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में लगाए। एडवोकेट विवेक कुमार ने बताया कि सीबीआई पिछले पांच सालों से वर्ष 2015 में पंजाब के जिला फरीदकोट के बरगाड़ी बेअदबी मामले में की जांच कर रही थी। जांच एजेंसी ने इस मामले में लंबी-चैड़ी जांच की और हर पहलू को बारीकी से परखा। एजेंसी ने इलाके की पंचायतों के ब्याने दर्ज करने के साथ-साथ महेंद्र पाल बिट्टू सहित कई डेरा श्रद्धालुओं की गिरफ्तारी करके उनके फिंगर प्रिंट, पॉलीग्राफ टैस्ट, लाई डिटैक्टर टैस्ट और ब्रेन मैपिंग सहित हर तरह की वैज्ञानिक जांच की। इसके अलावा दूसरे शिकायतकर्ताओं की भी यही जांच की गई। सीबीआई दोनों पक्षों की जांच करके इस बिंदू पर पहुंची कि डेरा श्रद्धालु बेकसूर हैं और उन पर लगा कोई भी आरोप साबित नहीं होता। सीबीआई ने 2019 में मोहाली अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश करके डेरा श्रद्धालुओं की बेगुनाही पर मोहर लगा दी। वहीं एडवोकेट केवल सिंह बराड़ ने सवाल उठाया कि जब तक सीबीआई मामले की जांच कर रही है तब तक कोई अन्य एजेंसी सामानांतर जांच कैसे कर सकती है। देश के कानून के अनुसार दो जांच एजेंसियां एक साथ जांच नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट पर मोहाली कोर्ट का अभी फैसला ही नहीं आया। इसलिए सीबीआई की जांच वापिस लेने का एसआईटी के पास कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने पंजाब और हरियाणा आईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है, जिसमें हाईकोर्ट ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपने के लिए कहा है परंतु सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अभी विचाराधीन है। बेअदबी मामले के इकबालिया ब्यानों, चोरी में उपयोग की गई गाडिय़ों के तथ्यों पर सीबीआई और एसआईटी की जांच में बड़ा अंतर है। सीबीआई ने जहां गाड़ी की खरीद संबंधी सभी पहलुओं पर जांच की वहीं एसआईटी ने केवल गाड़ी कब्जे में ले ली और उसकी जांच नहीं की। जबकि जिस आल्टो कार का जिक्र मामले में हुआ वह आरोपित शक्ति सिंह ने 28 अगस्त 2016 को खरीदी, जबकि बेअदबी का मामला ही वर्ष 2015 का है। वहीं एक इंडिगो गाड़ी जिसका इस मामले में जिक्र उसकी भी जांच सीबीआई ने की और जांच में पाया कि यह गाड़ी 2017 में खरीदी गई। जबकि एसआईटी ने इस मामले में कोई जांच नहीं की, केवल गाड़ी कब्जे में ले ली। डेरा का दर्द ये भी था कि राजनीतिक तौर पर भी उन्हें बुरी तरह मार पड़ी है। जब वर्ष 2007 में उन्होंने पंजाब में कांग्रेस का समर्थन किया तो उन्हें अकालियों ने परेशान किया और जब वर्ष 2017 में उन्होंने चुनावों में अकालियों का समर्थन किया तो सत्ता में कांग्रेस सरकार आ गई , जो उन्हें परेशान कर रही है। हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र जग्गा-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in