पुणे : 'कई बसंत देखे हैं मैंने' का ऑनलाइन लोकार्पण

पुणे : 'कई बसंत देखे हैं मैंने' का ऑनलाइन लोकार्पण
पुणे : 'कई बसंत देखे हैं मैंने' का ऑनलाइन लोकार्पण

मुंबई, 23 सितंबर, (हि. स.)। जानी मानी साहित्यकार नीलम सक्सेना चंद्रा के बत्तीसवें काव्य संग्रह 'कई बसंत देखे हैं मैंने' का लोकार्पण जश्न-ए-हिन्द के पेज के माध्यम से ऑनलाइन किया गया। 'कई बसंत देखे हैं मैंने' यह जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर लिखी हुई पचास कविताओं का संग्रह है। यह संग्रह सप्तरिशी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस अवसर पर लोकप्रिय कवि एवं गजलकार लक्ष्मी शंकर बाजपाई, जाने-माने साहित्यकार खालिद अल्वी, प्रसिद्ध कवि प्रताप सोमवंशी, फिल्म मेकर और टेलीविजन डायरेक्टर सुशील भारती, कवि एवं अनुवादक टीकम शेखावत, एवं जानी-मानी शख्सियत डॉ. मृदुला टंडन मौजूद थे। लोकार्पण के पश्चात शकील अहमद ने नीलम के द्वारा लिखा एक गीत भी राग-बद्ध करके पेश किया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम से बहुत लोग जुड़े। यह नीलम सक्सेना की 57वीं पुस्तक है। नीलम सक्सेना चंद्रा एक इंजीनियर हैं व पुणे में अपर मंडल रेल प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। कविताएं एवं कहानियां लिखना आपका शौक है। आपकी 1500 से अधिक रचनाएं विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मृदुला टंडन द्वारा सभी खास अतिथिगण एवं नीलम के बारे में जानकारी देकर की। उसके पश्चात इस काव्य संग्रह में से नीलम ने अपनी तीन कविताओं को श्रोताओं के समक्ष नीलम ने प्रस्तुत किया। टीकम शेखावत ने इस काव्य संग्रह में से अपने पसंद की कविताओं का वाचन किया एवं नीलम के खास अंदाज के बारे में तारीफ की। सुशील भारती ने कई कविताओं पर काफी विस्तार में विश्लेषण किया। प्रताप सोमवंशी, खालिद अल्वी और लक्ष्मी शंकर बाजपाई ने भी विस्तार पूर्वक कविताओं के विभिन्न पहेलुओं पर प्रकाश डाला सभी का मत था की अंतर्मन की यात्रा यह नीलम की ज्यादातर कविताओं में झलकती है। धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप/राजबहादुर-hindusthansamachar.in

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