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अंबानी के घर के सामने संदिग्ध कार का मामलाः मनसुख हीरेन का मिला शव, महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने की एटीएस जांच की घोषणा

मुंबई, 05 मार्च (हि.स.)। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर संदिग्ध स्कोर्पियो कार मिलने के केस में नया मोड़ आ गया है। शुक्रवार की सुबह में कार के तथाकथित मालिक मनसुख हीरेन की मुंब्रा के रेतीबंदर में शव मिलने के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मामले की जांच एटीएस को सौंपने की घोषणा की है। नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने यह मामला शुक्रवार को विधान सभा में उठाया। उन्होंने पुलिस अधिकारी सचिन वाझे पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच एनआईए को सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार और आशिष शेलार सहित अन्य भाजपा विधायकों ने फडणवीस का समर्थन किया। गृहमंत्री ने सदन को बताया कि मनसुख हीरेन का शव मुंब्रा के रितीबंदर में मिला है। अंबानी बंधुओं के घर के बाहर मिली संदिग्ध कार का वह मालिक नहीं है। कार मालिक सैम पीटर न्युटन है, जिसने हीरन को कार इंटीरियर डेकोरेशन के लिए दी थी। डेढ़ से दो लाख रुपए बकाया था। इस मामले की जांच ठाणे पुलिस कर रही ही। जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी। मृतक के शरीर पर घाव के निशान नहीं मिले हैं। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद सारी चीजें साफ होंगी। इससे पहले फडणवीस व विपक्ष के अन्य विधायकों ने पुलिस अधिकारी सचिन वाझे का उल्लेख करते हुए मामले की जांच एनआईए को सौंपने की मांग की। गृहमंत्री ने विपक्ष की एनआईए जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा कि मुंबई सहित महाराष्ट्र पुलिस पूरी तरह से सक्षम है। गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र की जांच एजेंसी हो या राज्य की सभी के प्रति सम्मान है। उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मामले पर चर्चा की गई लेकिन मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। छह महीने में सीबीआई ने क्या किया? इस पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। विपक्षी नेताओं से अनुरोध है कि वे सबूत दें, जांच में मदद मिलेगी। परिवहन मंत्री अनिल परब ने कहा कि किसी घटना की जांच के बाद सच्चाई सामने आती है। पहले आप अपनी सरकार में कहा करते थे कि हमें महाराष्ट्र की पुलिस पर अभिमान है। अब अचानक बदल कैसे गए। अब पुलिस पर विश्वास क्यों नहीं है। क्या हमारी पुलिस बदल गई है। पुलिस पर विश्वास करना होगा। एनआईए जांच की मांग सही नहीं है। यदि पुलिस असफल होती है तो एनआईए जांच की मांग करना उचित होगा। गृहमंत्री ने जांच के लिए समय मांगा है। जांच के बाद पूरी जानकारी पटल पर रखी जाएगी। गौरतलब हो कि शुक्रवार की सुबह में मुंब्रा खाड़ी में एक शव मिला। बताया जाता है कि यह शव एंटीलिया के बाहर मिली संदिग्ध कार के मालिक की है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक शव मनसुख हीरेन का है। वह ठाणे के व्यापारी हैं और क्लासिक मोटर्स का मालिक भी हैं। ठाणे के डीसीपी के अनुसार कलवा क्रीक में कूदकर उसने खुदकुशी की है। हीरेन गुरुवार से ही लापता थे और आज उनका शव कलवा क्रीक में मिला। मनसुख की लाश मिलने के करीब दो घंटे बाद नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने यह मामला सदन में उठाया। फडणवीस ने कहा कि जब एंटीलिया के बाहर गाड़ी मिली तो वहां जो अधिकारी सबसे पहले पहुंचा, वो सचिन वाझे थे। मुंबई क्राइम ब्रांच के बाकी अधिकारी सचिन वाझे के बाद पहुंचे थे। गाड़ी के मालिक के नंबर की जब सीडीआर निकाली गई तो पिछले साल 5 जून और 15 जुलाई को सचिन से बातचीत की बात सामने आई। ये दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे। हीरेन क्राफर्ड मार्केट किससे मिलने गया था। फडणवीस ने सचिन वाझे का नाम लेते हुए कहा कि अंबानी के घर के बाहर जिस व्यक्ति की गाड़ी मिली, वह ठाणे में रहता है। सचिन भी ठाणे में रहते हैं, जो धमकी भरा खत मिला, वह भी सिर्फ सचिन के ही हाथ लगा। उन्होंने इस मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग की। कार मालिक को सुरक्षा देनी चाहिए थी, आज उनकी डेड बॉडी मिली है। मुंबई में ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में सचिन वाझे ने वर्ष 2008 में इस्तीफा दे दिया था। सचिन वाझे को यूनुस की मौत के मामले में वर्ष 2004 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। सचिन वाझे पर यूनुस की हिरासत में मौत से जुड़े तथ्य छिपाने का आरोप था। हालांकि, उद्धव सरकार बनने के बाद तक़रीबन 12 साल बाद 7 जून 2020 को उन्हें फिर बहाल कर दिया गया। उन्हें मुंबई पुलिस के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) का हेड बनाया गया। वर्ष 1990 बैच के पुलिस अधिकारी वाझे अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 63 मुठभेड़ का हिस्सा रहे। सचिन वाझे ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी को उनके घर से गिरफ्तार किया था। दक्षिण मुंबई के पेडर रोड स्थित मुकेश अंबानी के बंगले एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को एक कार में भारी मात्रा में विस्फोटक मिले थे। 24 फरवरी की आधी रात 1 बजे यह गाड़ी घर के बाहर खड़ी की गई थी। दूसके दिन गुरुवार को इस पर पुलिस की नजर गई तो कार बरामद किया गया। जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच की सीआईयू यूनिट को दी गई थी। इस यूनिट के प्रमुख एपीआई सचिन वाझे थे। सचिन वाझे और उनकी टीम ने इस केस की जांच तुरंत शुरू कर दी थी, लेकिन जांच में संतोष जनक प्रगति नहीं होने की वजह से जांच अधिकारी को बदल दिया गया था। हिन्दुस्थान समाचार/ विनय

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