हड़ताल में शामिल हुए तो होगी सेवा समाप्त, महाराष्ट्र सरकार ने दी चिकित्सा अधिकारियों को चेतावनी
मुंबई, 09 जनवरी (हि.स.)। महाराष्ट्र सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन की ओर से एक परिपत्र के माध्यम से सभी चिकित्सा अधिकारियों को एक अधिसूचना जारी की गई है। यदि वे हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। उनकी सेवा समाप्त की जा सकती है। दरअसल अपनी मांगों को लेकर मेडिकल कॉलेज मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने 11 जनवरी को एक दिन के काम बंद आंदोलन पर जाने की घोषणा की है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि मेडिकल अधिकारियों की हड़ताल में भागीदारी को अनुशासन के खिलाफ माना जाएगा और महाराष्ट्र सिविल सेवा (अनुशासन और अपील) 1979 के अनुसार ऐसे अधिकारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अनुशासन के अलावा, कोरोना को नियंत्रित करने के लिए दिन-रात काम करने वाले डॉक्टरों को आपातकालीन कानून की याद दिलाई गई है। प्रशासन ने कहा है कि वर्तमान में कोरोना महामारी को देखते हुए, चिकित्सा अधिकारियों को हड़ताल में भाग नहीं लेना चाहिए। वे आवश्यक सेवाएं प्रदान करते है, जो मरीजों के हित में है। अन्यथा हड़ताल में भाग लेने वाले अधिकारियों पर महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत कार्रवाई की जाएगी। हड़ताल के दौरान अवकाश मंजूर नहीं किया जाएगा। अस्थायी सेवा के 450 चिकित्सा अधिकारियों को उनकी सेवाओं को नियमित करके सरकारी सेवा में शामिल करने, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने जैसे विभिन्न मांगों को लेकर मेडिकल कॉलेज मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने 11 जनवरी को एक दिन की हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। अपनी मांग को लेकर मेडिकल अधिकारी 1 जनवरी से 7 जनवरी तक काला रिबन बांधकर काम कर रहे हैं। डॉ. रेवत के अनुसार कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जान बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉक्टरों की न्याय की मांग को स्वीकार करने के बजाय, राज्य सरकार द्वारा सेवाओं को समाप्त करने की धमकी दी जा रही है। हम पर दबाव तंत्र लादा जा रहा है। राज्य के 18 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारी कोरोना संकट में जान जोखिम में डालकर दिन रात काम कर रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर संगठन ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और मेडिकल शिक्षा मंत्री अमित देशमुख के साथ भी बातचीत की है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/ विनय/ राजबहादुर-hindusthansamachar.in