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लॉकडाउन के बावजूद पश्चिम रेलवे ने कई क्षेत्रों में किए उत्‍कृट कार्य

पश्चिम रेलवे ने कोविड-19 की आपदा को न केवल अवसर, बल्कि उपलब्धियों में बदला मुंबई, 09 अप्रैल, (हि. स.)। पश्चिम रेलवे संपूर्ण भारतीय रेल पर कई उपलब्धियों को अर्जित करने में हमेशा अग्रणी रही है तथा इसी क्रम में हाल ही में समाप्त वित्तीय वर्ष वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पश्चिम रेलवे ने विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों को दर्ज कर पुन: अपनी कामयाबी का परचम लहराया है। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की कठिन चुनौतियों के बावजूद पश्चिम रेलवे ने महाप्रबंधक आलोक कंसल के ऊर्जावान नेतृत्व एवं कुशल मार्गदर्शन में आधारभूत संरचनाओं के विकास एवं विद्युतीकरण सहित कई क्षेत्रों में उत्कृट कार्य निष्पादन किया है। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 पश्चिम रेलवे के लिए विभिन्न मोर्चों पर उपलब्धियों से भरपूर रहा है। कोविड-19 की कई कठिन चुनौतियों के बावजूद अपने सराहनीय निष्पादन द्वारा पश्चिम रेलवे विशेषत: विद्युतीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ उज्ज्वल भविष्य की ओर निरंतर अग्रसर है। उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयासरत : पश्चिम रेलवे संपूर्ण देश की आर्थिक प्रगति एवं समग्र विकास हेतु आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने हेतु प्रतिबद्ध रही है। इसी क्रम में वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 41.7 किलोमीटर नई रेल लाइनों की शुरुआत की गई, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 100% की वृद्धि हुई है, जबकि 93.79 किमी लाइनों का दोहरीकरण कार्य पूर्ण किया गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 59% अधिक है। साथ ही 91.92 किमी गेज परिवर्तन का भी कार्य पूर्ण किया गया। एक और उल्लेखनीय उपलब्धि प्रतापनगर-डभोई-केवडिया विद्युतीकृत रेल खंड की शुरुआत के रूप हासिल की गई है। यह परियोजना विभिन्न चुनौतियों के बावजूद 28 महीनों के रिकॉर्ड समय के अंदर पूर्ण की गई। यह खंड स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को निर्बाध रेल कनेक्टिविटी प्रदान कर रहा है। पश्चिम रेलवे में विरमगाम-समाखियाली लाइन का दोहरीकरण एवं वटवा-अहमदाबाद के बीच तीसरी लाइन सहित दो सुपर-क्रिटिकल परियोजनाएं हैं, जिनका कार्य प्रगति पर है। इनमें से विरमगाम-समाखियाली दोहरीकरण परियोजना के अंतर्गत 71.58 किलोमीटर का खंड यातायात के लिए खोला जा चुका है। 4 महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से दो को 2020-21 में आंशिक रूप से पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। अहमदाबाद-महेसाणा गेज परिवर्तन परियोजना में 18.18 किलोमीटर तथा पालनपुर-समाखियाली दोहरीकरण परियोजना में 44.73 किमी (आरवीएनएल) का काम पूर्ण कर इस खंड को खोला जा चुका है। रतलाम-महू-खंडवा गेज परिवर्तन परियोजना की प्रगति प्लेटफॉर्म पर मॉनिटरिंग की जा रही है, जिसमें से वर्ष 2020-21 में 34 किमी का कार्य पूरा किया गया है। मुंबई सेंट्रल-गोधरा-नागदा खंड और वडोदरा-अहमदाबाद खंड पर सेक्शनल स्पीड बढ़कर 130 किमी प्रति घंटा हो गई है। इन सभी परियोजनाओं को कोविड-19 महामारी तथा सामग्री की आवाजाही पर प्रतिबंध और मानसून में भारी वर्षा की प्रमुख बाधाओं के बावजूद बखूबी पूरा किया गया। पश्चिम रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) सुधांशु शर्मा के कुशल नेतृत्व में निर्माण विभाग द्वारा किए गए ये सभी कार्य सराहनीय और प्रशंसनीय हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 227.41 किलोमीटर की प्रमुख परियोजनाओं को पूरा किया गया है। इसी प्रकार विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान पश्चिम रेलवे पर तेजी से विकास हुआ है। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2020-21 में 579 रूट किमी के विद्युतीकरण कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण कर पश्चिम रेलवे समूची भारतीय रेल पर इस क्षेत्र में दूसरे स्थान पर रही है। इसके साथ पश्चिम रेलवे में अब तक 3128 रूट किमी ब्रॉड गेज के विद्युतीकरण को पूरा किया जा चुका है, जो 4989 रूट किमी के कुल ब्रॉड गेज मार्ग का 62.70 प्रतिशत है। यह भारतीय रेलवे के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के राष्ट्रीय मिशन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2020-21 के दौरान पश्चिम रेलवे ने अन्य विद्युतीकृत कार्य प्लान हेड के अंतर्गत 63.73 करोड़ रु. खर्च किये, जो पश्चिम रेलवे पर अब तक सर्वाधिक है। 10 जून, 2020 को पश्चिम रेलवे ने विश्व में सबसे अधिक 7.57 मीटर के संपर्क तार की ऊंचाई वाले हाई राइज ओएचई के तहत पालनपुर से बोटाद तक पहली इलेक्ट्रिक डबल स्टैक कंटेनर गुड्स ट्रेन (केआईआईपी/पीपीएसपी) चलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस शानदार उपलब्धि के साथ पश्चिम रेलवे के राजकोट और भावनगर मंडलों पर विद्युत कर्षण की शुरुआत भी हुई, जो पहले गैर-विद्युतीकृत मंडल थे। इसी प्रकार रतलाम-चित्तौड़गढ़-चंदेरिया खंड (200 रूट किमी) का विद्युतीकरण कार्य भी पूरा किया गया। यह कार्य अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक छह महीने की लॉकडाउन अवधि सहित केवल 18 महीनों में पूरा किया गया। 25 किलोवाट एसी कर्षण पर डभोई-बडोली (37 रूट किमी) और आणंद-खंभात (52 रूट किमी) खंडों के विद्युतीकरण को भी पूरा किया गया। इस विद्युतीकरण का कार्य मई, 2019 में स्वीकृत किया गया था और सीआरएस निरीक्षण 27 मार्च, 2021 में सम्पन्न हुआ। पुलों का निर्माण कर यात्री सुविधाओं में वृद्धि : पश्चिम रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख मुख्य इंजीनियर अजय गोयल के कुशल नेतृत्व में कोरोना लॉकडाउन के बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये गये। यात्रियों की संरक्षा के लिए जर्जर पुलों की रि-गर्डरिंग/पुनर्निमाण के अतिरिक्त नये सड़क ऊपरी पुलों एवं सड़क निचले पुलों का निर्माण भी किया गया। लॉकडाउन के दौरान अपेक्षाकृत कम यातायात का लाभ उठाते हुए पश्चिम रेलवे द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 92 पुलों को रिहैबिलिटेट/रिबिल्ट किया गया, जिनमें सर्वाधिक उल्लेखनीय कार्य के रूप में मुंबई उपनगरीय खंड पर पुल संख्या 20 (9.15 मीटर के 7 स्पैन) की रि-गर्डरिंग एक ही ट्रैफिक और पावर ब्लॉक में सुनिश्चित की गई। वर्ष 2020-21 के दौरान सेफ्टी ऑडिट की सिफारिशों पर अमल करने में पश्चिम रेलवे अग्रणी रही और इस क्रम में 16 पैदल ऊपरी पुलों को ढहाया गया एवं 13 पैदल ऊपरी पुलों को दुबारा बनाया गया। ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित किये गये पैदल ऊपरी पुलों के अतिरिक्त पश्चिम रेलवे ने अपने विभागीय आंतरिक निरीक्षण के आधार पर 5 अन्य पैदल ऊपरी पुलों को भी डिस्मेंटल किया। पिछले वित्तीय वर्ष में 28 नये ऊपरी पुलों, 23 सड़क ऊपरी पुलों तथा 81 नये सड़क निचले पुलों का निर्माण किया गया। साथ ही 125 मानवयुक्त समपार फाटकों को बंद किया गया, जो पिछले 6 वर्षों में सर्वाधिक है। वर्ष के दौरान 26 समपार फाटकों को इंटरलॉक किया गया, जबकि 60 स्थानों पर स्लाइडिंग बूम लगाये गये। 35 स्टेशनों पर अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली लगाई गई। वर्ष 2020-21 में 19 पर्मानेंट स्पीड रेस्ट्रिक्शन (पीएसआर) को हटाया/रिलैक्स किया गया, जिससे 15 से 28 मिनट तक के परिचालन समय की बचत हुई और लाइन क्षमता वृद्धि के साथ-साथ संवर्धित गति भी सुनिश्चित हुई। इस कार्य के अंतर्गत मुंबई उपनगरीय खंड के बांद्रा-खार खंड पर स्थायी गति प्रतिबंधों को हटाना सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही। पश्चिम रेलवे ने यार्ड रिमॉडलिंग के साथ-साथ 48 यार्डों के 113 लेआउट में सुधार किया, जिसमें वडोदरा और साबरमती के यार्ड भी शामिल हैं। यह संख्या सभी जोनल रेलों में सर्वाधिक है। इससे ट्रेनों की सीधी आवाजाही आसान हो जाएगी और ट्रेनों का डिटेंशन समय कम हो जाएगा। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान वड़ोदरा, भावनगर, नंदुरबार और रतलाम स्टेशन भवनों का सॉफ्ट अपग्रेडेशन भी किया गया, जिसके फलस्वरूप इन स्टेशनों के परिसरों का बेहतर सौंदर्यीकरण सुनिश्चित हुआ है। प्रमुख इनोवेशन : पश्चिम रेलवे ने इंजीनियरिंग कार्यों में तेजी लाने और इनकी लागत में कमी लाने के लिए विभिन्न नवीन तकनीकों और प्रौद्योगिकी का विकास किया है। पश्चिम रेलवे द्वारा ब्रिज की एप्रोच को मजबूत करने के लिए जियो-सेल अरेंजमेंट पर अमल करने के अलावा आरसीसी कंक्रीट की दीवार की बजाय पीएससी कंक्रीट बाउंड्री वॉल को विकसित करने और इंजीनियरिंग इंडिकेटरों को विकसित करने के लिए टेलीस्कोपिक पदों के विकास जैसी अभिनव पहल मुख्य रूप से शामिल है। डिजिटल पहल को बढ़ावा : प्रमुख डिजिटल पहल के रूप में पश्चिम रेलवे ने ई-प्लेटफॉर्म जैसे e-DAS, वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट सिस्टम (WCMS) और ई-ऑफिस पर कार्य करना शुरू कर दिया है। पश्चिम रेलवे इन डिजिटल पहलों के समुचित क्रियान्वयन में बेहतरीन उपलब्धियों के साथ सभी क्षेत्रीय रेलों में सर्वश्रेष्ठ रही है। प्रमुख कारखानों की शुरुआत : अहमदाबाद में सेंट्रलाइज्ड ट्रैक मशीन ओवरहॉलिंग वर्कशॉप (CPOH) की स्थापना की गई। इस वर्कशॉप की शुरुआत के फलस्वरूप न केवल पश्चिम रेलवे, बल्कि मध्य रेल, उत्तर पश्चिम रेलवे और पश्चिम मध्य रेलवे से पीओएच के लिए आने वाली ट्रैक मशीनों के ट्रांजिट समय में उल्लेखनीय कमी सुनिश्चित होगी। इससे ट्रैक मशीनों की उपलब्धता बढ़ेगी तथा उत्पादन और संरक्षा को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा यह ट्रैक मशीनों के POH के बढ़ते कार्यभार से निपटने में भी मदद करेगा। पश्चिम रेलवे देश के समग्र विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए बुनियादी ढांचे के उन्नयन और प्रगति हेतु हमेशा प्रतिबद्ध रही है और अपने मूल्यवान ग्राहकों को एक सुरक्षित, सुविधाजनक और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने की दिशा में हरसम्भव बेहतर प्रयासों की राह पर लगातार अग्रसर रहेगी। हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप

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