होम क्वारंटाइन बन न जाए झगड़े की जड़
होम क्वारंटाइन बन न जाए झगड़े की जड़

होम क्वारंटाइन बन न जाए झगड़े की जड़

पर्चा बंटा....रिश्ते हुए तार-तार, वर्षो के संबंध एक फोन ने तोड़ दिए उज्जैन, 28 सितम्बर (हि.स.)। वे कोरोना पॉजीटिव मरीज, जो होम क्वारंटाइन हो रहे हैं उन्हें लेकर कलेक्टर के पास शिकायतें पहुंच रही है। शिकायतों में सबसे बड़ा पहलू यह है कि मरीज ही नियम तोड़कर सड़क तक आ रहा है। परिजन भी आइसोलेट नहीं हो रहे हैं। इन सबके चलते कलेक्टर ने रैपिड रिस्पांस टीम को निर्देश दिए हैं कि जो भी होम क्वारंटाइन हो, उसके पड़ोसी को पर्चा बांटकर आओ। पर्चे में लिखी गई बातों में एक बात यह भी है कि यदि होम क्वारंटाइन मरीज घर से बाहर निकले या नियम तोड़े अथवा परिवार के लोग आयसोलेट होने की बजाय आवाजाही करें,तो पड़ोसी इसकी शिकायत करे, ताकि संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। इधर पुराने एवं नये शहर की कतिपय बस्तियों, मौहल्लों में जब पड़ोसियों ने ऐसा कुछ दिखने पर कंट्रोल रूम पर शिकायत की तो मौके पर आरआरटी एवं पुलिस पहुंच गई। संबंधित परिवार को जमकर हड़काया गया और आगे से नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करने का कहा गया। टीम ओर पुलिसवालों के जाते ही शिकायत करनेवाले पड़ोसी परिवार की शामत आ गई। संबंधित परिवार को जमकर कोसा गया, मारपीट पर उतारू होने की नौबत आ गई। अन्य परिवारों ने झगड़ा समाप्त करवाया। यह उठ रही मांग इन घटनाओं के बाद यह मांग उठ रही है कि होम आइसोलेट करने से पूर्व पड़ोसियों से चर्चा की जाए। वे संबंधित प्रभावित परिवार के बारे में उचित राय दे, तभी होम आयसोलेट किया जाए, अन्यथा पीटीएस भेजा जाए। पर्चे बांटने से लाभ नहीं होगा। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल का कहना है कि इस बात की समीक्षा करेंगे। फिलहाल आयसोलेट परिवारों के पड़ोसियों की शिकायतें तो आती है। आयसीएमआर ने केवल प्रभावित परिवार को ही कंटेनमेंट एरिया माना है। ऐसे में पड़ोस के परिवार अपनी सुरक्षा रखे, इसका अधिकार उन्हे है। प्रभावित परिवार को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे पड़ोस में परेशानी आए। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

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