सीएसआर फंड के 125 करोड़  खर्च के सत्यापन की जांच में उलझा बिड़ला घराना का ग्रेसिम प्रबंधन
सीएसआर फंड के 125 करोड़ खर्च के सत्यापन की जांच में उलझा बिड़ला घराना का ग्रेसिम प्रबंधन

सीएसआर फंड के 125 करोड़ खर्च के सत्यापन की जांच में उलझा बिड़ला घराना का ग्रेसिम प्रबंधन

उज्जैन/नागदा, 10 दिसम्बर (हि.स.)। मशहूर बिड़ला घराना की ग्रेसिम कंपनी सीएसआर एक्ट 2013 के तहत जनसरोकार पर खर्च की गई 125 करोड़ की राशि अब जांच के घेरे में आ गई है। उक्त राशि को धरातल पर खर्च करने के भौतिक सत्यापन की जांच शुरू हुई है। विशेषकर कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के दायरे में स्थानीय स्तर पर खर्च हुई राशि का मसला जांच के घेरे में है। कोरोना काल में जांच प्रभावित होने के बाद अब पुन: उज्जैन कमिश्नर के निर्देश पर कार्यवाही को आगे बढाने का आदेश दिया है। उपायुक्त राजस्व ने कलेक्टर उज्जैन को उक्त मामले में कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया है। उपायुक्त ने यह कार्यवाही अभा संगठित मजदूर कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अभिषेक चौरसिया निवासी नागदा की रिवांडर शिकायत पर शुरू की है। अभिषेक ने गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता समेत मीडिया को जांच निर्देश की प्रति उपलब्ध कराई। हिस के पास जांच प्रति सुरक्षित है। शिकायतकर्ता का कहना शिकायतकर्ता अभिषेक ने हिस से बातचीत में बताया कुछ समय पूर्व एक शिकायत ग्रेसिम के सीएसआर फंड के खर्च आंकड़ों को लेकर संभागायुक्त को की थी। जिस पर 5 सदस्यों की एक जांच कमेटी का गठन तत्कालीन कलेक्टर उज्जैन शंशाक मिश्र ने किया था। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण जांच अधर में लटक गई। एक बार पुन: संभागायुक्त के समक्ष यह मामला संज्ञान में लाकर पेडिंग जांच को पूरा करने का आग्रह किया। इस आवेदन पर संभागायुक्त ने पुन: कलेक्टर को कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए निर्देश दिये। इस बात की सूचना उन्हें लिखित में संभागायुक्त कार्यालय से प्राप्त हुई है। शिकायत के मुख्य बिंदु- हिन्दुस्थान समाचार के पास प्रमाणित शिकायत अभिलेख के अनुसार भारत सरकार ने वर्ष 2013 में एक सीएसआर एक्ट लागू किया है। जिसके तहत कंपनी के लाभांश का 2 प्रतिशत जनसरोकार पर खर्च करने की काूननन बाध्यता है। ग्रेसिम कंपनी ने गत पांच वर्षो में 125 करोड़ की राशि खर्च करने की जानकारी भारत सरकार को मुहैया कराई है। अभिषेक ने अपनी इस प्रकार की बात के पक्ष में इस प्रकार के दस्तावेज जांच अधिकारी के समक्ष उपलब्ध कराने का दावा भी किया है। अभिषेक का कहना हैकि इतनी बड़ी राशि जनता के बीच जब देश के एक कानून के तहत खर्च होने का रिकॉर्ड तो है, लेकिन धरातल पर इस राशि की तस्वीर धुंधली है जोकि ना तो गले उतर रही है ना जनता में विकास कार्य दिख रहे हैं। ऐसी स्थिति में इश्यु यह हैकि ग्रेसिम प्रबंधन ने जहां पर देश भर में 125 करोड़ खर्च किए उसके बिलों की प्रमाण जांच के समय प्रस्तुत ग्रेसिम प्रबंधन उपलब्ध कराए। साथ ही जांच स्थानीय स्तर नागदा में जहां के लोग ग्रेसिम के प्रदूषण से प्रभावित है, यहां कितनी राशि और कहां पर खर्च की गई है। जबकि ग्रेसिम के जल प्रदूषण से प्रभावित चंबल नदी किनारे बसे 22 गांवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मप्र सरकार ने 29 करोड़ की योजना पर खर्च किए हैं। जांच अधिकारियों को उस स्थान का भौतिक सत्यापन करना होगा, जहां पर स्थानीय स्तर पर सीएसआर फंड से ग्रेसिम के माध्यम से विकास कार्य हुए हैं। जांच दल में ये हैं शामिल उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर शंशाक मिश्र ने पांच सदस्यों की जांच टीम बनाई थी। जिसमें इस प्रकार से 5 अफसरों- अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नागदा, सहायक श्रमायुक्त उज्जैन, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण खाचरौद, महाप्रबंधक उज्जैन जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र, मुख्य नपा अधिकारी नागदा को शामिल किया गया। इस प्रकार के दस्तावेज सुरक्षित हिन्दुस्थान समाचार के पास वे दस्तावेज सुरक्षित है जिसके तहत ग्रेसिम ने करोड़ों की राशि सीएसआर पर खर्च कर भारत सरकार को सूचना दी है। ग्रेसिम के इन आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-15 में 20 करोड़, वर्ष 2015-16 में 15.8 करोड़, 2016-17 में 26.98 करोड़, 2018-19 में 47.14 करोड़ खर्च करने की बात सामने आई है। हिन्दुस्थान समाचार/ कैलाश सनोलिया-hindusthansamachar.in

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