छतरपुर, 18 नवम्बर (हि.स.)। गुटखा, तम्बाकू एवं बीड़ी आदि की लत बुन्देलखण्ड के किशोरों, पुरुषों एवं महिलाओं में ज्यादातर देखने को मिल जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बजुर्ग महिलाएं बीडी का सेवन करती हैं। घर एवं परिवार के लोग यह सोचते हैं कि अब इनकी तो उम्र हो गयी है यदि यह बीड़ी पीती है तो कोई नुकसान नहीं होने वाला लेकिन उनसे ज्यादा प्रभाव उनके आसपास रहने वाले बच्चों और किशोरों पर होता है। छोटे-छोटे बच्चे उनके संपर्क में आकर बीड़ी पीने लगते हैं। ऐसे ही महिला-पुरुषों, बुजुर्गों और किशारों को जागरुक करने का काम साथिया सिनेमा द्वारा किया जा रहा है और इसका प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। नौगांव जनपद क्षेत्र के ग्राम मऊसहानियां में रहने वाली 64 वर्षीय महिला दशोदा अहिरवार पिछले लगभग 40 वर्षों से बीड़ी की आदि थी। वर्ष 2018 में साथिया सिनेमा द्वारा जागरुकता फैलाने वाले विज्ञापनों को दशोदा ने देखा तो उसे अपनी लत से होने वाले शारीरिक नुकसान का पता चला और जागरुक होकर उसने बीड़ी पीना छोड़ दिया। इतना ही नहीं वर्तमान में दशोदा अपने आसपास के लोगों को भी नशे के दुष्प्रभाव बताकर उन्हें जागरुक करती हैं। हिन्दुस्थान समाचार / पवन अवस्थी-hindusthansamachar.in