संजा पर्व - सर्वपितृ अमावस्या पर बिदाई होती है संजा की विवाह पश्चात
संजा पर्व - सर्वपितृ अमावस्या पर बिदाई होती है संजा की विवाह पश्चात

संजा पर्व - सर्वपितृ अमावस्या पर बिदाई होती है संजा की विवाह पश्चात

उज्जैन, 15 सितम्बर (हि.स.)। सोलह वर्ष तक जीवित रही संजा के निमित्त मनाया जानेवाले संजा पर्व के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या को किलाकोट पूर्ण कर लिया जाता है। हर एक अंकन अपनी जगह इस किलाकोट में पा लेता है। संजा की बारात आ जाती है और उसका विवाह सम्पन्न हो जाता है। साथ ही संजा की मायके से बिदाई भी हो जाती है। सखियां संजा की आरती करते वक्त जहां रूआंसी होती है वहीं कहती है- संजा तू जीम ले, चूठ ले, अकेली मत जा। साथे चांद-सूरज बीर के लईजा।। यह माना जाता है कि संजा को सबसे अधिक सुख मायके में ही मिला। उसे अपने पिता और भाईयों पर गर्व था। उसके पिता ठिकानेदार थे, यही कारण था कि उसकी सहेलियां कहती थी-संजा तू बड़ा बाप की बेटी, तू खाये खाजा रोटी, पठाणी चाल चाले़। संजा का बचपन लाड़-प्यार में बिता। उसे मां का जितना स्नेह मिला, उतना ही भाभियों एवं सखियों का भी मिला। उसे सखियों के साथ खेलना पसंद था। यही कारण है कि वह सुबह से शाम तक बस सखियों के बीच दौड़ लगाती थी। चिंता, दु:ख जैसी बातें उसके जीवन को छू भी नहीं सकी थी। जब उसकी बिदाई का वक्त आता है तो सखियां कहती है कि-तुम्हारे सासरे से हाथी, घोड़ा,म्याना, पालकी आई है। इधर संजा कहती है कि मै नहीं जाउंगी।विवाह बाद ससुराल में संजा को कोई सुख नहीं मिला। उसे उसकी सासु, ननद, देवर से लेकर पति तक की प्रताड़ना झेलना पड़ी। वहीं उसकी अल्पायु में मौत हो गई। संजा की बिदाई संजा को जब बिदा दी जाती है तो वह मां से कहती है कि मां उसे जल्दी लेने भेजना। मां कहती है कि तुम्हारे बापू जल्द ही लेने आएंगे। इस पर संजा कहती है कि मां, बापू तो गढ़ अजमेर के राजा है, काकाजी को फूर्सत नहीं मिलती है। तुम ही आ जाना। मां कहती है कि बेटी तुम्हारा ससुराल कहां है, मुझे नहीं पता। इस पर संजा कहती है कि मैं रास्ते भर अपने जेवर फेंकती जाउंगी, तुम उसे देखकर आती जाना? संजा को मां समझाती है कि बेटी पराया धन होता है, इसलिए मायके से अब मोह छोडऩा होगा। इधर संजा की सखियां भी अश्रु बहाती है और संजा बिदा हो जाती है। अमावस्या को संजा की आखिरी आरती होती है। इसके बाद दीपक बुझा दिया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

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