वन्यजीव तस्करी मामले में सुपुर्दगी में जब्तशुदा वाहन का हो रहा पारिवारिक उपयोग, जांच के आदेश
वन्यजीव तस्करी मामले में सुपुर्दगी में जब्तशुदा वाहन का हो रहा पारिवारिक उपयोग, जांच के आदेश

वन्यजीव तस्करी मामले में सुपुर्दगी में जब्तशुदा वाहन का हो रहा पारिवारिक उपयोग, जांच के आदेश

सिवनी, 03 जुलाई (हि.स.)। जिले में अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्करी के मामले ने जब्तशुदा वाहन को सुपुर्दगी में दिये गये परिक्षेत्र अधिकारी के पुत्र द्वारा पारिवारिक उपयोग में लिये जाने को लेकर जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इसकी पुष्टि मुख्य वन संरक्षक वन वृत सिवनी आरएस कोरी ने की है। मुख्य वन संरक्षक ने शुक्रवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वन्यजीव तस्करी के मामले में जब्तशुदा वाहन के निजी उपयोग में लाये जाने के संबध में डी एफ ओ दक्षिण सामान्य वन मंडल को जांच सौंपी गई है। इस संबंध में कार्यवाही की जा रही है। क्या है प्रकरण जिले की डूंडा सिवनी पुलिस ने 26 नबंवर 2018 को वाहन चैकिंग के दौरान पश्चिम बंगाल के वाहन से 6 अफ्रीकन कछुए बरामद किए गये थे तथा इन कछुओं को परिवहन करने वाले दो आरोपित कौशिक (30) पुत्र श्यामल दास और बलराम (34) महादेव निवासीगण हुगली पश्चिम बंगाल को गिरफ्तार किया गया था। दोनों आरोपितों के विरूद्ध कस्टम एक्ट 1962 की धारा 135 के तहत प्रकरण दर्ज किया जेल भेज दिया गया था और जब्त 6 नग कछुए वन विहार भेजे गए थे। इंदौर भोपाल की टीमों ने की कार्यवाही ज्ञात हो कि वन जीव तस्करी के मामले में एसटीएसएफ, एसटीएफ, कस्टम इंदौर ने प्रकरण तैयार कर अग्रिम कार्यवाही की थी। जब्त चौपहिया वाहन को राजसात करने की प्रक्रिया इंदौर व भोपाल स्तरीय अधिकारियों के माध्यम की गई है। जिसे सुपुर्दगी में वन परिक्षेत्र सिवनी के अधिकारी केके तिवारी को सौंपा गया है। सुपुर्दगी का फायदा उठाकर लबे समय से किया जा रहा पारिवारिक उपयोग विभागीय सूत्रों के अनुसार सुपुर्दगी का फायदा उठाते हुए परिक्षेत्र अधिकारी के.के. तिवारी द्वारा लंबे समय से अपने परिवार के कार्यो में तथा अपने परिवार के सदस्य पुत्र को जब्त वाहन की चाबी दे दी गयी थी, जिसे पुत्र द्वारा रोजाना अपने निजी कार्य इस वाहन के माध्यम से किये जाते थे, जिसे शहर में लगे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आसानी से देखा जा सकता है। वही नगर में लगे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जब्त वाहन के फुटेज निकाले जाये तो और भी बडे खुलासे हो सकते हैं। उच्च स्तरीय सूत्रों व विभागीय सूत्रों की माने तो इस प्रकरण में वनमंडल के एक जिम्मेदार अधिकारी द्रारा पुरानी समय और दिनांक में पत्रों का खेल किया जा रहा है, क्योंकि 6 या 7 महीने बाद उक्त परिक्षेत्र अधिकारी सेवानिवृत्त होने वाले है जिसे बचाने के लिये पुरजोर कोशिश की जा रही है। वही वाहन चालक पुत्र को भी बचाने में परिक्षेत्र अधिकारी लगे हुये है। हिन्दुस्थान समाचार/रवि-hindusthansamachar.in

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