रैपिड रिस्पांस टीम में फूट पड़ी, डॉक्टर्स के ग्रुप बने
रैपिड रिस्पांस टीम में फूट पड़ी, डॉक्टर्स के ग्रुप बने

रैपिड रिस्पांस टीम में फूट पड़ी, डॉक्टर्स के ग्रुप बने

उज्जैन, 27 सितम्बर (हि.स.)। उज्जैन में कोरोना पॉजीटिव मरीजों को घर से लेकर हॉस्पिटल तक पहुंचाने और उनकी काउंसलिंग करने वाली रैपिड रिस्पांस टीम में फूट पड़ गई है। यहां तक कि दो ग्रुप बन गए हैं। पहला ग्रुप है एमबीबीएस डॉक्टर्स का और दूसरा ग्रुप है होमियोपैथी तथा आयुर्वेद में डिग्री लेने वाले बीएचएमएस एवं बीएएमएस का। जहां एमबीबीएस डॉक्टर्स सुपर इगो से पीडि़त बताए जा रहे हैं वहीं दूसरे ग्रुप के डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा नहीं चलेगा,काम तो सभी बराबरी से कर रहे हैं। शहर में 16 डॉक्टर्स की रैपिड रिस्पासं टीम है। इसमें आधे बीएएमएस ओर आधे-आधे एमबीबीएस तथा बीएचएमएस हैं। ये टीम रोजाना शहरभर में आनेवाले कोरोना पॉजीटिव मरीजों को उनके घरों पर जाकर उनकी स्थिति देखने ओर काउंसलिंग के बाद होम आयसोलेट अथवा हॉस्पिटल भेजने का काम करती है। टीम के सदस्य शाम 4 बजे बाद रिपोर्ट मिलते ही एक्टिव हो जाते हैं। इनका काम रात तक चलता रहता है। पहले ये ही मरीज की रोजाना रिपोर्ट लेते थे। अब यह काम कालसेंटर द्वारा किया जा रहा है। अंदरखाने की खबर बताती है कि इन दिनों रैपिड रिस्पांस टीम आंतरिक विवाद में उलझी हुई है। कुछ का आरोप है कि जो एमबीबीएस हैं,वे सुपर इगो के साथ काम करते हैं। हमें अपने से छोटा मानकर अपनी वाली चलाते हैं। वहीं कतिपय एमबीबीएस का कहना है कि हम तो अपनी डिग्री के आधार पर सुझाव देते हैं और कुछ गलत हो रहा है तो बताते हैं,ऐसे में इगो क्यों करना? सूत्र बताते हैं कि मरीजों का उपचार एलोपैथी में हो रहा है। ऐसे में कहीं न कहीं कुछ तकनीकी मेडिकल बातों के लिए होमियोपैथी एवं आयुर्वेद में डिग्रीधारी डॉक्टर्स को परेशानी आती है। वे अपने स्तर पर इसका हल निकालते हैं। यहीं पर इगो टकराती है। चर्चा में इनका कहना रहता है कि डॉक्टर्स तो सभी हैं, लेकिन इस समय एलोपैथी में उपचार चल रहा है। ऐसे में कहीं गलत होता है तो कहना ही पड़ता है। बुरा लगाने की क्या बात। खास बात यह है कि नोडल अधिकारी हस्तक्षेप करने से बचते हैं। कल से किसी मरीज का नुकसान हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा? इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल ने कहाकि एमबीबीएस डॉक्टर्स की कमी है। इसीलिए होमियोपैथी एवं आयुर्वेद में डिग्री वाले डॉक्टर्स भी आरआरटी में शामिल है। उपचार का तरीका एक ही है। इसलिए अलग पैथी होने के बाद भी वे काम कर लेते हैं। सारे डॉक्टर्स एमबीबीएस कहां से लाएं? मिलजुल कर काम करना चाहिए। कलेक्टर ने ली थी कल बैठक कलेक्टर आशीषसिंह ने आरआरटी की बैठक ली थी। उन्होंने सभी से समस्याएं पूछी। इसके बाद कहाकि मिलजुल कर काम करे,हम यह जंग जीत जाएंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in