राम मंदिर के भूमिपूजन से हुई पांच सदियों के तप, त्याग और संकल्प की सिद्धि: विष्णुदत्त शर्मा

राम मंदिर के भूमिपूजन से हुई पांच सदियों के तप, त्याग और संकल्प की सिद्धि: विष्णुदत्त शर्मा
राम मंदिर के भूमिपूजन से हुई पांच सदियों के तप, त्याग और संकल्प की सिद्धि: विष्णुदत्त शर्मा

अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन पर प्रदेश अध्यक्ष ने दी बधाई और शुभकामनाएं भोपाल, 05 अगस्त (हि.स.)। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर अयोध्या में भव्य मंदिर के लिए भूमिपूजन का यह कार्यक्रम सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उस तप, त्याग और संकल्प की सिद्धि है, जो बीती पांच सदियों में देश के साधु-संतों, आम नागरिकों और राम भक्तों ने किया है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक श्री मोहन भागवत द्वारा किए गए भूमिपूजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कही। शर्मा ने मंदिर निर्माण के कार्य के शुभारंभ पर देश और प्रदेश के नागरिकों को बधाई और शुभकामनाएं भी दी हैं। शर्मा ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की आततायियों से रक्षा के लिए शुरू हुआ बलिदानों का सिलसिला बीती पांच सदियों से चल रहा है। अयोध्या में अनेकों निहत्थे कारसेवकों का बलिदान भी इसी संघर्ष का हिस्सा है। सदियों के इस संघर्ष में लाखों देशवासियों ने कंधे से कंधा मिलाकर योगदान किया और कई पीढ़ियों ने अपना बलिदान दिया। बीते तीन दशकों में स्व. अशोक सिंघल, महंत परमहंस रामचंद्र दास जैसे नेता अपने मंदिर निर्माण के संकल्प की पूर्ति की आस लिए दुनिया से विदा हो गए। उन्होंने कहा कि आज मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए भूमिपूजन से पांच सदियों से चल रही इस साधना की सिद्धि हुई है। शर्मा ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन उस आत्मविश्वास के बनने की शुरुआत का अनुष्ठान भी है, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक है। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता सदियों में जन्म लेते हैं। उनके विजनरी और समर्थ नेतृत्व में देश ने पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि जटिल से जटिल मुद्दों का संवैधानिक तरीके से समाधान कैसे हो सकता है। उन्होंने सारी दुनिया को बता दिया कि हमारा लोकतंत्र, हमारा संविधान और हमारी न्याय पालिका हर तरह के विवादों को सुलझाने में समर्थ हैं। शर्मा ने कहा कि माननीय न्यायालय के द्वारा इस विवाद का पटाक्षेप होना और अब श्रीराम के मंदिर का निर्माण शुरू होना इस बात का प्रमाण है कि तलवार के जोर पर लोगों की आस्था को बदलने, सभ्यता और संस्कृति को चोट पहुंचाने के प्रयास कभी स्थाई रूप से सफल नहीं होते। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत से पूरे देश और दुनिया में एक नई ऊर्जा और नए मनोभाव का संचार होगा। हिन्दुस्थान समाचार/केशव दुबे-hindusthansamachar.in

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