मिलावटी सत्तू खिलाकर कुपोषण दूर करने की असफल कवायद
मिलावटी सत्तू खिलाकर कुपोषण दूर करने की असफल कवायद

मिलावटी सत्तू खिलाकर कुपोषण दूर करने की असफल कवायद

पन्ना, 05 दिसम्बर (हि.स.)। महिला बाल विकास विभाग की उदासीनता के चलते पन्ना को कुपोषण के मामले में कुछ वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश में नम्बर वन का दर्जा सर्वाधिक कुपोषण के लिए मिल चुका है। अब वह स्थिति तो नहीं रही कुछ सुधार हुआ है, लेकिन कुपोषण का दंश पूरा जिला अभी भी झेल रहा है। यही नहीं कि केवल बच्चे कुपोषण हैं, बल्कि माताओं में खून की कमी के सबसे ज्यादा प्रकरण सामने आ रहे हैं, लेकिन महिला बाल विकास के कुपोषण दूर करने एवं महिलाओं के लिए चलाये जा रही योजनाओं के कागजी घोड़े दौड़ाने के कारण जो सफलता मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है। पूरे विभाग में इस बात की चर्चा है महिला बाल विकास के कुछ अधिकारियों को छोड़ दिया तो अधिकांश अधिकारी तथाकथित एक चर्चित लिपिक के इशारे पर चल रहे हैं। इसके पीछे कारण उसके सत्ताधारी दल के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों से विशेष संबंध होना बताया जा रहा है। जिसकी बैशाखी के सहारे में अधिकारी निर्भय होकर उदासीनता एवं अनियमितता बरत रहे हैं यह भी जनचर्चा है कि फर्जी दौड़े दर्शाकर अधिकांश अधिकारी एवं सुपरवाइजर बजट को ठिकाने लगा रहे हैं। महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र स्थल पर संचालित कुपोषण दूर करने की योजनाएं कागजी साबित हो रही है। केंद्रों पर लॉकडाउन के दौरान बांटे गऐ सत्तू में सबसे ज्यादा आटा मिलने की शिकायत हितग्राही कर रहे हैं। वहीं खिचड़ी व दलिया में गड़बड़ी होने से यह जानवरों को खिलाया जा रहा है। जिले की आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाले अतिकुपोषितों को जिले के एनआरसी केंद्र में 14 दिन भरती कराए जाने के साथ उन्हें विशेष पोषण आहार की व्यवस्था कराई गई है। जिसका वितरण एनजीओ व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के माध्यम से कराया जाता है। जब इस मामले में महिला बाल विकास के कुछ अधिकारियों से चर्चा की गई तो उन्होंने सारे आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनके द्वारा कोई अनियमितताएं उपरोक्तानुसार नहीं की जा रही हैं। नियमानुसार केंद्रों का संचालन एवं कुपोषण आहार वितरण किया जा रहा है। अब इनके दावों में कितनी सच्चाई है यह तो उच्च स्तरीय जांच से ही स्पष्ट हो सकती है। हिन्दुस्थान समाचार / सुरेश/राजू-hindusthansamachar.in

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