बिना पंजीयन व दूसरी पैथी में इलाज करने वाले डॉक्टर्स को स्वास्थ्य विभाग का अभयदान
बिना पंजीयन व दूसरी पैथी में इलाज करने वाले डॉक्टर्स को स्वास्थ्य विभाग का अभयदान

बिना पंजीयन व दूसरी पैथी में इलाज करने वाले डॉक्टर्स को स्वास्थ्य विभाग का अभयदान

बिना पंजीयन व दूसरी पैथी में इलाज करने वाले डॉक्टर्स को स्वास्थ्य विभाग का अभयदान गुना 16 नवंबर (हि.स.)। शहर सहित जिले भर में बीते कुछ सालों में फर्जी डॉक्टर्स (बिना योग्यता व पंजीयन वाले) की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। जो खुलेआम गरीब मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। लेकिन जिले का स्वास्थ्य महकमा इन फर्जी डॉक्टर्स की क्लीनिक को अब तक बंद नहीं करवा पाया है। जबकि न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि ऐसे डॉक्टर्स की क्लीनिक को पूरी तरह से बंद किया जाए जो शासन की गाइड लाइन पर खरे नहीं हैं। इतने सख्त आदेश के बाद भी प्रशासन आज तक झोलाछाप डॉक्टर्स के अवैध व्यवसाय को बंद नहीं करा सका है। यही बजह है कि आए दिन झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से गरीब मरीजों की तबियत बिगडऩे व मरने तक की खबरें सामने आ रही हैं। ताजा मामला जिले के म्याना थाना अंतर्गत ग्राम टकनेरा में सामने आया है। जहां एक 6 साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई है। पिता के मुताबिक गांव के ही एक झोलाछाप डॉक्टर ने उसके बच्चे को दो इंजेक्शन एक हाथ में और एक पैर में लगाया था। जिसके बाद बच्चे को उल्टी हुई और तबियत इतनी ज्यादा बिगड़ गई । जब तक कि उसे गुना अस्पताल लाए तब तक उसकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग सहित पुलिस महकमा लापरवाह नजर आया। खास बात यह है कि घटना के अगले दिन तक बच्चे की मौत की जानकारी सीएमएचओ को नहीं थी। वहीं म्याना थाना पुलिस ने पिता की शिकायत के बाद भी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की। घटना के बाद ही चेतता है प्रशासन बताया जाता है कि जिले का स्वास्थ्य महकमा झोलाछाप डॉक्टर्स का इस्तेमाल सोने का अंडा देने वाली मूर्गी की तरह कर रहा है। इन्हें पूरी तरह से खत्म करने की बजाए समय-समय पर नोटिस देकर व क्लीनिक सील करने करने की औपचारिक कार्रवाई अंजाम देकर कमाई का जरिया बना लिया है। यह खुलासा झोलाछाप डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करने वाली टीम के सदस्य ने ही किया है। नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिस झोलाछाप डॉक्टर्स की क्लीनिक उनसे सील करवाई गई, उसे कुछ दिन बाद ही खोल दिया गया। - इसलिए झोलाछाप डॉक्टर्स का शिकार हो रहे गरीब मरीज जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचल में न तो सरकारी अस्पताल हैं और न ही विकासखंड स्तरीय अस्पतालों की हालत ठीक है। यही बजह है कि गांव में बीमार होने पर लोग पहले इलाज कराने गांव के कथित फर्जी डॉक्टर पर जाते हैं, जहां उनका पहले आर्थिक शोषणा होता है और फिर उनके स्वास्थ्य से खिलबाड़। कई बार यह लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है। - इन उदाहरणों से समझें विभाग की कार्यप्रणाली 20 अप्रैल को बमौरी के ग्राम झागर में तहसीलदार औचक कार्रवाई करने पहुंचे। इस दौरान उन्हें एक फर्जी डॉक्टर मरीजों को ड्रिप चढ़ाते मिला। वहीं अकोदा गांव में भी ऐसी ही स्थिति मिली। बीएमओ ने तीन फर्जी डॉक्टरों की क्लीनिकों को सील करने के बाद एफआईआर दर्ज कराई। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम को बड़ी मात्रा में तीनों क्लीनिकों से इंजेक्शन, टेबलेट और ड्रिप मिली। ग्राम पाटन में बीएमओ ने जब उक्त तथाकथित फर्जी डॉक्टर से डिग्री मांगी, तो वो नहीं दे सका। क्लीनिक को सील कर दिया गया। - 7 नवंबर को मेडिकल ऑफीसर डॉ मुकेश शर्मा ने मधुसूदनगढ़ की दो निजी अस्पतालों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया। शर्मा के मुताबिक यह दोनों अस्पताल बिना पंजीयन संचालित हो रहे थे। साथ ही शासन की किसी भी गाइड लाइन का पालन यहां नहीं किया जा रहा था। सबसे पहले देवकृपा हॉस्पिटल पर जांच की गई तो दस्तावेज फर्जी निकले। इसी तरह भोपाल रोड स्थित आरजी हॉस्पिटल भी नियमानुसार संचालित नहीं मिला। देव कृपा हॉस्पिटल में मरीज मिले लेकिन डॉक्टर नहीं। दस्तावेज भी फर्जी निकले। इस तरह तमाम अनियमितता मिलने पर दोनों ही हॉस्पिटल को सील कर दिया गया। लेकिन अगले दिन रविवार को देवकृपा हॉस्पिटल संचालक ने सील तोड़ अस्पताल खोल लिया। इस संबंध में डॉ मुकेश शर्मा ने मधुसूदनगढ़ पुलिस थाने एवं तहसील में लिखित शिकायत की। - दूसरी पैथी में इलाज करना नियम विरुद्ध शासन की गाइड लाइन के मुताबिक कोई भी डॉक्टर सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन कराए बिना क्लीनिक संचालित नहीं कर सकता। यही नहीं वह यदि ऐलोपैथिक डॉक्टर है तो वह आयुर्वेद पद्धति में मरीजों का इलाज नहीं कर सकता। यदि ऐसा करते पाया जाता है तो वह नियम विरुद्ध है। वहीं इलाज के लिए शासन द्वारा निर्धारित योग्यता का होना भी जरूरी है। बिना डिग्री, डिप्लोमा के इलाज करने वाले डॉक्टर झोलाछाप की श्रेणी में आते हंै। - यह बोले जिम्मेदार जिले भर में कितने डॉक्टर बिना पंजीयन अपनी क्लीनिक संचालित कर रहे हैं, इसकी जानकारी हमें नहीं है। हमारे पास सिर्फ रजिस्टर्ड डॉक्टर्स की ही जानकारी है। जहां तक झोलाछाप डॉक्टर्स पर कार्रवाई का सवाल है तो हम समय-समय पर कार्रवाई अंजाम देते हैंं। डॉ पुरुषोत्तम बुनकर, सीएमएचओ हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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