बमौरी में कांग्रेस से के.एल. अग्रवाल के नाम पर लगी मुहर, भाजपा से संजू सिसौदिया के नाम की औपचारिक घोषणा बाकी
बमौरी में कांग्रेस से के.एल. अग्रवाल के नाम पर लगी मुहर, भाजपा से संजू सिसौदिया के नाम की औपचारिक घोषणा बाकी

बमौरी में कांग्रेस से के.एल. अग्रवाल के नाम पर लगी मुहर, भाजपा से संजू सिसौदिया के नाम की औपचारिक घोषणा बाकी

गुना 11 सितंबर (हि.स.)। जिले की सबसे चर्चित बमौरी विधानसभा में एक बार फिर कन्हैयालाल अग्रवाल और महैन्द्र सिंह सिसौदिया संजू चुनावी मैदान में आमने-सामने हो सकते हैं। ऐसी संभावना शुक्रवार को कांग्रेस से कन्हैयालाल अग्रवाल के नाम पर मुहर लगने के बाद और प्रबल हुई है। हालांकि भाजपा से अभी संजू के नाम की औपचारिक घोषणा होना शेष है। अगर यह होती है, जैसा की होना काफी पहले से ही लगभग तय ही है तो यह चौथी बार होगा, जब बमौरी विधानसभा में यह दोनों नेता आमने-सामने होकर एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकेंगे। गौरतलब है कि वर्ष 2008 से जब से बमौरी का विधानसभा के रूप में जन्म हुआ है, तब से यह दोनों नेता यहां से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार भी यह रिकॉर्ड कायम रहने की संभावना है। इससे फिलहाल ऐसा कहा जा सकता है कि इन दोनों दिग्गज नेताओं के बिना बमौरी की राजनीति अधूरी है। बहरहाल इन दिनों दोनों नेताओं के क्षेत्र में तूफानी दौरे चल रहे हैं। जिसने यहां चुनावी सरगर्मी चरम पकड़ने लगी है। इस सरगर्मी के बीच बमौरी के मौसम का मिजाज बता रहा है कि मुकाबला जबर्रदस्त होने के आसार है। दो बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा की हुई बमौरी चुनावी दावेदारों में हर नेता की थोड़ी-थोड़ी पकड़ में रहने वाली बमौरी विधानसभा का जन्म 2008 में हुआ था। विधानसभा गुना से टूटकर बनी थी और तब से लेकर अब तक 12 सालों में यहां तीन चुनाव हो चुके हैं। जिसमें दो बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा को जीत मिली है। तीनंो चुनाव में यहां से कन्हैयालाल अग्रवाल और महैन्द्र सिंह सिसौदिया जरुर लड़े है। वर्ष 2008 के चुनाव मेंं भाजपा प्रत्याशी के रुप में कन्हैयालाल अग्रवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी महैन्द्र सिंह सिसौदिया को हराया तो वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में महैन्द्र सिंह सिसौदिया ने भाजपा उम्मीद्वार कन्हैयालाल अग्रवाल को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया। इसके अगले चुनाव वर्ष 2018 में कन्हैयालाल को भाजपा से उम्मीद्वारी नहीं मिली तो उन्होने निर्दलीय मैदान में ताल ठंोकी। कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार महैन्द्र सिंह सिसौदिया पर ही भरोसा व्यक्त किया।भाजपा से उम्मीद्वार ब्रजमोहन सिंह आजाद रहे। चुनाव में लगातार दूसरी बार महैन्द्र सिंह सिसौदिया को जीत मिली। आदिवासी, सहरिया समाज और किरार-धाकड़ समाज का बाहुल्य बमौरी में आदिवासी, सहरिया समाज और किरार-धाकड़ समाज का बाहुल्य है। यहां जाति की राजनीति नहीं चलती है। यह इससे भी समझा जा सकता है कि सिर्फ एक बार भाजपा ने ही वर्ष 2018 के चुनाव में यहां के किरार समुदाय के ब्रजमोहन सिंह किरार को प्रत्याशी बनाया था। इसके सिवाए कभी दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने यहां से इन समाजों के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया है। अन्य राजनीतिक दलों ने भी जाति के आधार पर प्रत्याशी चयन करने में गंभीरता नहीं दिखाई है। इतना ही नहीं, जो तीन विधायक अब तक यहां से रहे है, भाजपा से कन्हैयालाल अग्रवाल और कांग्रेस से महैन्द्र सिंह सिसौदिया तो उनके समाज के मतदाता यहां नाम मात्र के है। बमौरी में लोधा, लोधी समाज, ब्राह्मण समाज, खटीक समाज भी थोड़ा, बहुत है। छह चुनाव लड़ चुके है कन्हैयालाल कन्हैयालाल अग्रवाल का जन्म 28 अगस्त 1948 को गुना में हुआ था। रामेश्वर दयाल अग्रवाल के पुत्र कन्हैयालाल अग्रवाल बी.ई.(मैकेनिकल) शिक्षित है। कन्हैयालाल अग्रवाल विद्यालयीन छात्र संघ के सचिव एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की छात्र परिषद के अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 1988 से 1998 तक आप जनता दल गुना के जिलाध्यक्ष एवं अन्य पदों पर कार्यरत रहे। अब तक वह छह चुनाव लड़ चुके है। जिसमें पहला चुनाव वह गुना विधानसभा से जनता दल से लड़े और हार गए। फिर दूसरा चुनाव वर्ष 2000 ( उपचुनाव) में गुना विधानसभा भाजपा से लड़े, फिर हार गए। इसके बाद वर्ष 2003 के चुनाव के चुनाव में भाजपा ने उन्हे फिर इसी विधानसभा से प्रत्याशी बनाया। यह चुनाव वह जीत गए और पहली बार विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2008 के चुनाव में गुना विधानसभा से अलग हुई बमौरी विधानसभा से भाजपा ने फिर उन्हे उम्मीद्वारी सौपी। जिसमें लगातार दूसरी बार उन्होने जीत का स्वाद चखा। इसके साथ ही भाजपा ने इस बार उन्हे बड़ी जिम्मेदारी देते हुए मंत्री बनाते हुए सामान्य प्रशासन जैसा मजबूत और बड़ा विभाग सौपा। इतना ही नहीं, वर्ष 2013 के चुनाव में लगातार चौथी बार भाजपा ने केएल पर भरोसा जताते हुए उन्हे प्रत्याशी बनाया। हालांकि इस बार केएल चुनाव हार गए। वर्ष 2018 का चुनाव वह निर्दलीय बमौरी से लड़े, किन्तू हार गए। इस बार कांग्रेस से उम्मीद्वारी मिलने पर उन्होने कहा कि जनता झूठ और बेईमानी का पर्दाफाश करेगी। धोखेबाज और गद्दारंो के जाल में जनता फंसने वाली नहीं है। वह जवाब देने तैयार है। कांग्रेस की सदस्यता लेने के साथ ही पक्का हो गया था टिकट पूर्व राज्य मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल की कांग्रेस से उम्मीद्वारी कतई चौंकाने वाले रूप में सामने नहीं आई है। यह तभी तय हो गया था। जब करीब डेढ़ माह पहले 23 जुलाई को उन्होने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। हालांकि इससे काफी पहले से ही वह कांग्रेस के संपर्क में बने हुए थे और यह खुद उन्होने भी माना था कि वह कांग्रेस से उम्मीद्वारी के रुप में दावेदारी कर रहे है। हालांकि बीच-बीच में कुछ नाम उछलते भी रहे, किन्तु उनका कोई पुख्ता आधार नहीं था। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक/केशव-hindusthansamachar.in

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