पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों की विदाई
पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों की विदाई

पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों की विदाई

पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों की विदाई तालाब के बीचों बीच खडे़ होकर पितरों को विदा करते दतिया, 17 सितंबर (हि.स.)। सूरज की किरण फूटने के साथ ही पितरों का तर्पण कर बिदाई देने के लिये नगर के करन सागर, सीता सागर, लाला के तालाब, उनाव बालाजी, भाण्डेर, पहूज नदी के शाहपुर स्थित सती घाट पर लोगों का पहुंचना प्रारंभ हुआ। सर्व पितृ अमावस्या पर गुरूवार सुबह से ही जलाशयों में पहुंचकर पुरखों का तर्पण करते हुये। विधि विधान के साथ पिण्डदान किया गया। पुरखों को तर्पण के साथ ही उन्हें विदाई दी गई, और गुरूवार को घरों में सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध आयोजित हुए। भाण्डेर नगर पंचायत पूर्व अध्यक्ष वृजकिशोर, बल्ले रावत ने पहूज नदी के सती घाट पर श्रृद्धालुओं को धूप से बचने के लिए टेन्ट और पानी की व्यवस्था की। भागवताचार्य कृष्णकांत शास्त्री ने बताया कि पितृ पक्ष में पितरों को प्रसंन्नता एवं पूर्व की पीढिय़ों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका अर्चन, पूजन, दर्पण अवश्य करें इससे आपको पूर्वजों का आर्शीवाद परिवार में सुख समृद्धि, धन, कीर्ति गोत्र में वृद्वि होती है। पितरों के आशीर्वाद से कुछ भी असम्भव नहीं है। जहां पितरों की पूजा होती है वहाँ देवताओं का बास है। माता-पिता की सेवा करने वाले पुत्र पर भगवान विष्णु की अपार कृपा सदा बनी रहती है। पुत्रों के लिए माता-पिता से बढकर दूसरा कोई तीर्थ नहीं। उन्होंने बताया कि यदि किसी कारण श्राद्धों में पितरों का श्राद्ध छूट गया हो तो अमावस्या के दिन सर्वप्रथम छूटे श्राद्ध के निमित विधि पूर्वक श्राद्ध कर्म करना चाहिए और उसके बाद पितृ विर्सजन तर्पण करके भोजन ग्रहण करना चाहिए। पितृ विर्सजन के समय भी श्राद्ध की तरह इस बात को विशेष सावधानी रखनी चाहिए की पकवान भोज्य पदार्थो के साफ पत्तलों में ही परोसना चाहिए। इसके बाद तर्पण करना चाहिए। फिर देवताओं, गौमाता, स्वान, कौआ, चीटियों के निमित पंच वैश्यवलि निकालनी चाहिए। इसके बाद पुरखों को स्मरण करना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/संतोष तिवारी/राजू-hindusthansamachar.in

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