पिता के असहनीय दर्द को महसूस कर मानसिक विक्षिप्तों की सहारा बनी आसरा की नाजनीन
सिवनी, 16 दिसम्बर (हि.स.)। परिवार के मुखिया की बीमारी को देखकर परिजन व पडोसी मुंह ढाक कर गरीबी का मजाक उडाते हुए उस परिवार से दूर भागते थे, उस परिवार की लाडली ने पिता के दर्द को महसूस कर मन में ठाना कि ऐसी बीमारियों से पीडित व मानसिक विक्षिप्त लोगों की वह उम्र भर सेवा करेगी। गरीब परिवार में जन्मी नाजनीन उर्फ रोज कुरैशी आज जिले ही नहीं, देश के अन्य प्रदेशों में बेसहारा व मानसिक विक्षिप्तों की सेवा कर रही है। उसने वर्ष 2014 से अब तक लगभग 60 मानसिक विक्षिप्तों की सेवा की, 06 लोगों को उपचार के लिए ग्वालियर भेजा तथा 06 मानसिक विक्षिप्तों को उनके परिवार से मिलाया। बुटिक संचालक व न्यू आसरा सोशल फाउडेशन संस्था की अध्यक्ष नाजनीन कुरैशी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वह गरीब परिवार में जन्मी और पिता ने उसका निकाह कराया। उनके शौहर घर पर ही रहते हैं। उनकी दो बेटिया हैं। वर्ष 2013 में पिता कैंसर की बीमारी से पीडित हो गये। उनकी बीमारी को देखकर उसके परिवार जन व पडोंसी दूर भागा करते थे। जिससे परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गयी और उन कठिनाइयों का सामना करते हुए वह पिता की देखभाल करती और उनके दर्द को महसूस करती। कैंसर की बीमारी का आपरेशन होने के एक माह बाद उनकी मृत्यु हो गई। जिससे वह बहुत ज्यादा उदास हो गई और उसने उसके पिता के देंहात के 40 दिन बाद ही एक संस्था के लिए पंजीयन कराया और उसका सफर शुरू हो गया। जिसका नाम उसने न्यू आसरा फाउडेशन रखा और पिता को अंतिम समय में दिये वचनों को साकार करने में लग गई। रोज ने बताया कि लवारिस, बेसहारा व मानसिक विक्षिप्त की उन्हें जहां भी मिलते है या उनके बारे में जानकारी मिलती है तो वे स्वयं उनके पास पहुंचकर उनके शरीर से गंदगी को दूर कर नहलाकर, बाल काटकर उन्हें कपडे, दवाइया देकर उन्हें स्वस्थ्य रखने का प्रयास करती है। बीते 06 वर्षों में उन्होंने कई मानसिक विक्षिप्त लोगों का जिला चिकित्सालय में भर्ती कराकर उपचार कराया व उनकी देखभाल कर रही है। आसरा की रसोई में मानसिक विक्षिप्तों व बेसहारा को सुबह शाम खिलाती है भोजन नाजनीन ने बताया कि वर्ष 2014 से वह अपनी आय का 30 प्रतिशत खर्च राशि बेसहारा और मानसिक विक्षिप्तों के लिए खर्च करती है यह खर्च की जानकारी अक्टूबर 20 में जब उनके संस्था के अन्य सदस्यों को लगी जो कि स्वयं का व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है तो उन्होनें भी अपने आय का एक हिस्सा देकर सुबह के भोजन में सहयोग करना प्रांरभ कर दिया। शाम के भोजन की व्यवस्था जिले के कुछ विभाग प्रमुखों के अधिकारी, कर्मचारी व आम जन जो नारायण सेवा करने का अवसर तलाशते है वह आसरा रसोई में आकर एक समय के भोजन की व्यवस्था कर देते है। इस रसोई में प्रतिदिन 15 से 20 बेसहारा व मानसिक विक्षिप्तों को भोजन दिया जाता है। विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है उपचार कुरैशी ने बताया कि जिले के जठार हास्पिटल के संचालक डाॅ.सौरभ जठार द्वारा मानसिक विक्षिप्त, बेसहारा लोगों के उपचार के लिए दवायें व निःशुल्क चिकित्सा कर सहयोग किया जाता है इसी प्रकार डाॅ.जयज काकोडिया द्वारा भी इन मरीजों का उपचार किया जाता है। बीते 06 वर्षो में 06 मानसिक विक्षिप्तों को स्वस्थ होने के बाद उनके घर पहुंचाया गया है वहीं 04 लोगों को जिले के वृद्धावस्था में भेजा गया है। संस्था द्वारा वर्तमान में लगभग 24 लोगों का ध्यान रखा जा रहा है। पिता के दर्द को महसूस कर दीन हीन की सेवा में जुटी जिस उम्र में लड़कियां सजना संवरना और घूमना फिरना पसंद करती हैं, उस उम्र दीन हीन, असहायों और घांवों में लगे कीड़े जिन लावारिसों को पल पल खा रहे होते हैं उनकी सेवा कौन करता है। आमतौर पर कोई भी उनके पास जाने की सोचता भी नहीं है, किंतु सिवनी जिले में एक युवती ऐसी भी है जो बीते पांच वर्षो से मानसिक विक्षिप्तों की सेवा में लगी है। उसने समाज सेवा की एक ऐसी मिसाल पेश की है जो हर किसी के बस की बात नहीं है। जिला प्रशासन, जिला चिकित्सालय , पुलिस प्रशासन सहित आम जन करते है सहयोग रोज ने बताया कि मानसिक विक्षिप्त की सहायता करने में पुलिस प्रशासन , जिला प्रशासन, जिला चिकित्सालय तथा आमजनों का पूर्ण सहयोग मिलता है। हिन्दुस्थान समाचार/रवि सनोडिया-hindusthansamachar.in