पहले पपीता की खेती से कमाए सालाना 6 लाख, अब थाईलैंड के एप्पल बेर से आजमा रहे भाग्य
पहले पपीता की खेती से कमाए सालाना 6 लाख, अब थाईलैंड के एप्पल बेर से आजमा रहे भाग्य

पहले पपीता की खेती से कमाए सालाना 6 लाख, अब थाईलैंड के एप्पल बेर से आजमा रहे भाग्य

गुना 22 दिसंबर (हि.स.)। खेती पूरी तरह से मौसम व प्रकृति के व्यवहार पर निर्भर है। इसलिए किसान को भी चाहिए कि वह समय-समय पर खेती में बदलाव करता रहे। यह परिवर्तन न सिर्फ भूमि के लिए बल्कि किसान के लिए भी लाभदायक है। यह कहना है अंबारीचक्क के किसान नाथूराम लोधा का। जो बमोरी विधानसभा ही नहीं पूरे गुना जिले में नवाचार के लिए चर्चित हो चुका है। वर्ष 2001 में वीडियोग्राफी का काम छोड़ कृषि के क्षेत्र में उतरे नाथूराम लोधा ने नवाचार कर अन्य किसानों के बीच अपनी अलग पहचान बना ली है। तब से लेकर अब तक लोधा द्वारा हर साल नवाचार किया जा रहा है। सबसे पहले उन्होंने गेहूं, चना, मक्का की परंपरागत खेती को छोड़ पपीते की खेती शुरू की। जिसमें उन्होंने सालाना 6 लाख रुपए तक कमाए। इस बार उन्होंने एक बार फिर से नवाचार करते हुए थाईलैंड से मंगाई गई एप्पल किस्म के बेर लगाए हैं। जिसके 600 पौधे करीब ढाई बीघा में लगाए गए हैं। सही सलाह मिली तो पपीते से कमाए सालाना 6 लाख बमोरी विकासखंड के ग्राम अंबारीचक्क के किसान नाथूराम पुत्र हरी सिंह लोधा ने बताया कि वे भी इससे पहले गांव के अन्य किसानों की तरह गेहूं, चना, सोयाबीन, मक्का आदि फसलें उगाते थे। इस परंपरागत खेती में उन्हें कभी कम वर्षा तो कभी अतिवर्षा के कारण काफी नुकसान होता था। यही नहीं फसलोंं को विभिन्न प्रकार के कीटों से बचाने के लिए भी काफी महंगी कीटनाशक का प्रयोग भी करना पड़ता था। इन सबके बावजूद उसे थोड़ा बहुत ही मुनाफा ही हो पाता था। एक बार हमारे गांव में कृषि विभाग के अधिकारी आए उन्होंने मुझे परंपरागत खेती को छोड़ कुछ नया करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने पपीते के खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। जिसके बाद मैंने खेती में नवाचार करने का मन बना लिया। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा बताई गई पपीता की ताईवान 786 किस्म एक एकड़ में लगाई। इसके बाद विभाग के अधिकारी व आरोन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक समय-समय पर फसल का निरीक्षण करने आते रहे तथा उचित सलाह देते रहे। जिसका पालन मैं करता रहा और परिणामस्वरूप पपीते की फसल को किसी तरह के कीट से नुकसान नहीं हुआ। मुझे एक पौधे से लगभग 40 से 50 किलो फल प्राप्त हुए। मैनें एक एकड़ खेत में 700 पौधे लगाए थे। खेती की इस पूरी प्रक्रिया में कुल लागत 2 लाख रुपए आई। जिससे मुझे 300 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ और भाव भी अच्छा 20-25 रुपए प्रति किलो मिला। इस प्रकार मुझे एक साल में 6 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई। जो कि परंपरागत फसलों जैसे सोयाबीन, मक्का, गेहूं, चना आदि की तुलना में बहुत अधिक है। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in

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