नेतृत्व करने वाले नेता ही नहीं बनायेंगे सामाजिक दूरी तो जनता से क्या अपेक्षा: संत निर्णय सागर
नेतृत्व करने वाले नेता ही नहीं बनायेंगे सामाजिक दूरी तो जनता से क्या अपेक्षा: संत निर्णय सागर

नेतृत्व करने वाले नेता ही नहीं बनायेंगे सामाजिक दूरी तो जनता से क्या अपेक्षा: संत निर्णय सागर

अशोकनगर, 30 जुलाई (हि.स.)। जनता का नेतृत्व करने वाला नेता होता है, कोरोना महामारी से बचाव के लिए नियम बनवाने वाले नेता ही अगर नियमों का पालन न करते हुए सामाजिक दूरी नहीं बनायेंगे और मास्क नहीं लगायेंगे तो फिर जनता से क्या अपेक्षा की जा सकती है? देश में प्रसन्नता की बात है कि भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण होने जा रहा है, पर हमें राम मंदिर निर्माण के साथ राम के आदर्शोँ को भी जीवन में धारण करने की आवश्यकता है। यह उद्गार जैन संत 108 श्री निर्णय सागर जी महाराज ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए व्यक्त किए। जैन संत श्री निर्णय सागर जी महाराज एवं 105 एलक श्री क्षीरसागर महाराज ने वर्तमान राजनैतिक परिवेश और कोरोना महामारी विषय पर चर्चा करते हुए अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता का नेतृत्व करने वाले नेताओं को कोरोना महामारी से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए, अगर वही नियमों का पालन नहीं करेंगे तो फिर जनता से क्या अपेक्षा की जा सकती है? शराब दुकान के लिए नियम नहीं, दूध के लिए नियम: जैन संत श्री निर्णय सागर जी ने कहा कि कोरोना महामारी में एक तरफ नेता लोग स्वयं नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और शराब दुकानों के लिए कोई नियम नहीं बल्कि दूध-सब्जी की दुकानों के लिए नियमों का पालन कराया जा रहा है, यह नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी जैसी जितनी भी अभी तक महामारिायां दुनिया में फैली वह सब मांसाहार के कारण ही फैली हैं, इस कारण से आज शाकाहार अपनाने की आवश्यकता है। तथा कहा कि आज कोरोना फैलने पर बार-बार हाथ धोने के संदेश दिए जा रहे हैं, पर जैन धर्म में तो धोने की परम्परा का संदेश पहले से ही दिया जाता रहा है। राम के आदर्शोँ का भी करें निर्माण: श्री निर्णय सागर जी ने कहा कि प्रसन्नता है कि 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने जा रहा है, पर हमें मंदिर निर्माण के साथ अपने जीवन में राम के आदर्शों के निर्माण करने की भी आवश्यकता है। मतदाताओं से छल करने वालों के लिए कानून बनना चाहिए: संत श्री निर्णय सागर जी ने एक प्रश्र के समाधान में कहा कि जिस नेता और पार्टी को मतदाताओं ने वोट दिया अगर वह अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरते हैं, तो मतदाताओं के साथ छल करने वाले नेताओं के लिए कानून बनना चाहिए। संस्कारवान बनाने हो पत्रकारिता: संत श्री निर्णय सागर जी ने पत्रकारों को संदेश देते हुए कहा कि अगर पत्रकारिता नकारात्मक हो रही है तो सकारात्मक भी हो रही है, जो नेताओं पर अंकुश नजर आता है वह सकारात्मक पत्रकारिता ही है। उन्होंने कहा कि देश में मानव सेवा की भावना और लोगों को संस्कारवान बनाने के लिए पत्रकारिता होना चाहिए। प्रकृति से छेड़छाड़ कोरोना महामारी: 105 एलक श्री क्षीरसागर जी ने कहा कि कोरोना महामारी, प्रकृतिक संपदाओं से छेड़छाड़ का ही दुष्परिणाम है, हमें हमारी प्राकृतिक संपदाओं को दोहन से बचाकर रखना होगा। हिन्दुस्थान समाचार/ देवेन्द्र ताम्रकार-hindusthansamachar.in

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