धनतेरस के लिए सजे बाजार, दो दिनों तक रहेंगी रौनक
मंदसौर, 11 नवम्बर (हि.स.)। दीपों का पर्व दीपोत्सव आज से प्रारंभ होने जा रहा हे। पांच दिवसीय दीपोत्सव के अंतर्गत तिथियों के हेर फेर के कारण गुरूवार और शुक्रवार को दो दिन तक धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। धनतेरस को लेकर मंदसौर के बाजार पूरी तरह से तैयार हो चुके है। धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी की आभूषण खरीदने का महत्व होता है जिसके लिए नगर की बर्तन दुकाने और सोने-चांदी की दुकानें सज कर तैयार हो चुकी है। व्यापारियों को भी उम्मीद है कि छः माह से कोरोना के कारण व्यापार मंदा पड़ा था वह अब रफ्तार पड़ेगा। धनतेरस के अवसर पर गुरूवार को बाजारों में जमकर धन बरसने की उम्मीद है। ऑटोमोबाल्स्, इलेक्ट्राॅनिक, कपड़ा, बर्तन व सर्राफा बाजार में ग्राहकी की भीड़ उमड़ेगी। कोरोना के कारण लम्बे समय से सुस्त पड़े व्यापार से व्यापारियों को अब धनतेरस व दीपावली के त्यौहार से उम्मीद जागी। मंदसौर क्षेत्र कृषि प्रधान माना जाता है और इस बार सोयाबीन, लहसुन, प्याज की भी अच्छी फसल हुई है और सोयाबीन भरपूर मात्रा में मंडीयों में बिकने के लिये आ रही है। इससे व्यापारियों को भी उम्मीद है कि बाजार में अच्छा पैसा आएगा। कई व्यापारियों का कहना है कि आनलाईन खरीदी के कारण नगर के बाजार सुने पड़े है। व्यापारियों ने बताया कि पहले दीपावली की ग्राहकी एक महीने पहले से ही प्रारंभ हो जाती थी, लेकिन अब मात्र 4 से 5 दिनों की ग्राहकी ही रह गई है। आज खरीददारी के शुभ मुहूर्त कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन की देवी के उत्सव का प्रारंभ होने के कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी व धन्वन्तरी त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस पर पांच देवताओं, गणेश जी, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा,विष्णु और महेश की पूजा होती है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान धनवन्तरी का जन्म हुआ था जो कि समुन्द्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धनवन्तरी को औषधी का जनक भी कहा जाता है। इस बार धनतेरस 5 नवंबर यानी कल है। धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 07ः07 से 09ः15 बजे तक दोपहर 01ः00 से 02ः30 बजे तक रात 05ः35 से 07ः30 बजे तक कैसे करें धनतेरस की पूजा 1. सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी की फोटो स्थापित करें। 2. चांदी या तांबे की आचमनी से जल का आचमन करें। 3. भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें। 4. हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें। पूजा के समय इस मंत्र का करें जप देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरिः स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि हिन्दुस्थान समाचार/ अशोक झलौया/विजयेन्द्र/राजूू-hindusthansamachar.in