छठ महापर्व : देश की सुख-समृद्धि और कोरोना से मुक्ति के लिए अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
छठ महापर्व : देश की सुख-समृद्धि और कोरोना से मुक्ति के लिए अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य

छठ महापर्व : देश की सुख-समृद्धि और कोरोना से मुक्ति के लिए अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य

भोपाल/इंदौर, 20 नवम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश में भी चार दिवसीय छठ महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाये '' जैसे पारम्परिक छठ महापर्व के लोकगीतों के बीच शुक्रवार को प्रदेश के अधिकांश शहर के विभिन्न छठ घाटों पर बिहार एवं पूर्वांचल के हजारों लोगों ने भगवान भास्कर के डूबते स्वरूप को अर्घ्य देकर घर परिवार, समाज एवं देश के सुख समृद्धि एवं शान्ति तथा कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए कामनाएं की। छठी मैया के मन को झंकृत कर देने वाली लोक गीतों के बीच सभी घाटों का नजारा भक्तिमय हो गया। इन घाटों पर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मालवांचल में सम्पूर्ण बिहार एवं पूर्वांचल उतर आया हो। शुक्रवार को दोपहर पश्चात छठ घाटों पर छठ उपासकों छोटे छोटे समूहों में आना शुरू हो गया और शाम 4 बजते बजते छठ व्रती महिलाएं-पुरुष मुंह पर मास्क लगाए प्रसाद से भरे बांस की टोकरियां लेकर इन घाटों पर पहुंच चुके थे। छठी मैया के मनभावन लोक गीतों से सम्पूर्ण वातावरण में भक्ति एवं आस्था के रंग में लोग रचे नजर आ रहे थे और एक दूसरे को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दे रहे थे। यह पहला अवसर था जब श्रद्धालु मुंह पर मास्क लगाकर घाट पर पहुंचे थे और सभी ने एक-दूसरे से दूरी बनाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। पूर्वोत्तर सांस्कृति संस्थान के प्रदेश महासचिव केके झा ने बताया कि जैसे ही भगवान् भास्कर अस्ताचल में सामने लगे, जल कुंड में खरी व्रतधारी महिलाओं एवं पुरुषों ने प्रसाद से भरी टोकरियों को अपने हाथों में लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना प्रारम्भ किया। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात व्रतियों ने अपने परिवार, सम्बन्धियों के साथ प्रसाद लेकर पुन: अपने घरों को प्रस्थान किया। कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण बहुत सारे श्रद्धालुओं ने अपने अपने घरों पर कृत्रिम जलकुण्डों पर अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य दिया तथा प्रदेश, देश को कोरोना महामारी के प्रकोप से मुक्ति की कामनाएं की। भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के सभी बड़ों शहरो में यह आयोजन हुआ। शनिवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा सूर्य उपासना का यह पर्व शनिवार, 21 नवम्बर को सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के पश्चात समाप्त होगा। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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