चुनाव आयोग का फैसला, दलित अस्मिता और नारी सम्मान के हक में : विष्णुदत्त शर्मा
चुनाव आयोग का फैसला, दलित अस्मिता और नारी सम्मान के हक में : विष्णुदत्त शर्मा

चुनाव आयोग का फैसला, दलित अस्मिता और नारी सम्मान के हक में : विष्णुदत्त शर्मा

ग्वालियर, 31 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक दलित महिला के लिए अपशब्द कहे थे, क्या उसके लिए वे माफी नहीं मांग सकते थे? उन्हें सुप्रीम कोर्ट, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगाह किया था और माफी मांगने के लिए कहा था, लेकिन कमलनाथ उस समय भी गुरूर में थे और आज भी हैं। चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संवैधानिक संस्था है और कमलनाथ के संबंध में आयोग ने जो कदम उठाया है, वह दलित अस्मिता और नारी सम्मान के हक में है। यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि अब जनता 3 नवम्बर को कमलनाथ का गुरूर उतारेगी। प्रदेश ही नहीं पूरे, देश की नारी शक्ति कांग्रेस को इस अपमान का जवाब देगी। आवाज बंद करने वाली मंडली के रणनीतिकार थे कमलनाथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग ने दलित अस्मिता को बचाने के लिए जो निर्णय लिया है, उस पर भी कमलनाथ ने कहा है कि मेरी आवाज बंद करने का काम किया जा रहा है। कमलनाथ की आवाज तो खुली है, उस पर कोई रोक नहीं है, लेकिन आवाज को दबाने और लेखनी को कुंद करने का इतिहास तो कांग्रेस का रहा है। अपने खिलाफ उठ रही आवाज को खामोश करने और लेखनी को रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी और उनके खिलाफ बोलने या लिखने वालों को 19-19 महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया। लोकतंत्र के इस दमन के काम में जो मंडली इंदिरा गांधी के साथ काम कर रही थी, उसके रणनीतिकार कमलनाथ ही थे। इसलिए कमलनाथ को एक संवैधानिक संस्था पर प्रश्न खड़ा करने का कोई अधिकार ही नहीं है। संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाना कमलनाथ की आदत उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग ने कोई निर्देश दिया है, तो उसके आदेशों का पालन सभी को करना चाहिए। लेकिन कमलनाथ ने केंद्रीय चुनाव आयोग के आदेश पर प्रश्न खड़ा किया, सीईओ को पत्र लिखा और प्रदेश के अधिकारियों व कर्मचारियों तक को बेईमान बता दिया।चाहे सुप्रीम कोर्ट हो या चुनाव आयोग, कोई भी संवैधानिक संस्था जब कुछ कहती है, तो उस पर प्रश्न खड़े करना कमलनाथ की आदत है। उन्हें किसी भी संवैधानिक संस्था पर विश्वास नहीं है वह तो शुद को मर्यादा पुरुषोत्तम समझ रहे हैं। कमलनाथ तो बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को भी दरकिनार करना चाहते हैं। इस देश में दलितों की अस्मिता के सम्मान से लेकर बाबा साहब के विचारों पर काम करने का प्रयास केवल भाजपा ने किया है। आतंकवाद का समर्थन कांग्रेस का इतिहास शर्मा ने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद का समर्थन आज से नहीं कर रही है, बल्कि यह तो उसका इतिहास रहा है। चाहे वह दिग्जियसिंह हों या कमलनाथ हों, कांग्रेस के नेता आतंकवादियों के मानव अधिकारों की चिंता करते रहे हैं, उन्हें भटके हुए नौजवान बताते रहे हैं और कश्मीर में आतंकवाद को फलने-फूलने में मदद करने वाली धारा-370 की पुन: बहाली की बात करते हैं। हाल ही में जिस प्रकार से कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं, तो कमलनाथ और सोनिया गांधी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कांग्रेस आतंकवाद के समर्थन में हैं, अगर ऐसा नहीं है, तो क्या वह आतंकवाद का समर्थन करने वाले इन नेताओं पर कोई कार्यवाही करेगी। आज प्रदेश की जनता यह पूछना चाहती है कि आरिफ मसूद जैसे कांग्रेस के नेता आतंकवाद के समर्थन में क्यों खड़े हैं? जनता देगी कांग्रेस और कमलनाथ को करारा जवाब भाजपा नेता ने कहा कि कमलनाथ शराब माफिया के साथ बैठकर धंधा करते रहे। अब चुनाव में डूबती हुई नैया देखकर कांग्रेस के नेता अनर्गल बयानबाजी पर उतर आए हैं। कमलनाथ न तो अपनी सरकार के 15 महीनों का हिसाब देंगे, न प्रदेश के विकास की बात करेंगे और न ही नेतृत्व की बात करेंगे। इसलिए अब प्रदेश की जनता आपको 3 नवम्बर को करारा जवाब देने वाली है। भाजपा ने समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए काम किया है। इसके चलते उसे मुरैना एवं ग्वालियर के ग्रामीण अंचलों में जनता का अपार समर्थन मिल रहा है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस उपचुनाव में सभी 28 सीटों पर भाजपा प्रचंड मतों से जीत हासिल करेगी। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद-hindusthansamachar.in

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