ग्रेसिम कर्मचारियों को वीआरएस के लिए 16 करोड़ के बजट की प्रतीक्षा
ग्रेसिम कर्मचारियों को वीआरएस के लिए 16 करोड़ के बजट की प्रतीक्षा

ग्रेसिम कर्मचारियों को वीआरएस के लिए 16 करोड़ के बजट की प्रतीक्षा

नागदा, 17 अगस्त (हि.स.)। आदित्य बिड़ला समूह की मप्र के नागदा जिला उज्जैन में स्थित ग्रेसिम कंपनी में कर्मचारियों को वीआरएस के खुलासे के बाद एक और बड़ा खुलासा हुआ है। ग्रेसिम में वीआरएस के लिए 16 करोड़ के बजट की प्रतीक्षा की जा रही है। अभी तक 4 करोड़ की राषि से कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया है। यह बडा चैकाने वाला एक और तथ्य भारतीय मजदूर संघ के पूर्व प्रदेश महामंत्री सुल्तानसिंह शेेखावत ने उजागर किया है। रविवार देर रात स्वयं ने हिंदुस्थान समाचार संवाददाता नागदा से दूसरा खुलासा किया। शेखावत ने श्रमिकों एवं स्टाफ कर्मचारियों को जबरजस्त वीआरएस देने की ग्रेसिम प्रबंधनकी नीति के खिलाफ आवाज बुलंद की है। मजदूरों के अधिकारों की हिफाजत, शोषण एवं अन्याय के खिलाफ एक प्रदेश या यूं कहे कि राश्टीय स्तर के मजदूर नेता के हस्तक्षेप से यह मामला गरमा गया है। 540 मजदूरों को घर बैठाना नीयत में खोट मजदूर नेता शेखावत का कहना हैकि ग्रेसिम प्रबंधन ने कोरोना महामारी के बाद 540 श्रमिकों को नौकरी पर नहीं बुलाया है। जबकि उद्योग में उत्पादन चल रहा है। कई मजदूर कार्य कर रहें है। प्रबंधन ने अधोशित रूप से उद्योग में कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिए वीआरएस देना शुरू कर दिया गया है। इस वीआरएस को सार्वजनिक रूप से घोषित करने में प्रबंधन कतरा रहा है। घर पर आराम कर रहे इन 540 श्रमिकों के प्रति प्रबंधन की नीयत में खोट है। ऐसा संभव हैकि इन मजदूरों को वीआरएस के लिए चिन्हित कर लिया गया है, लेकिन प्रबंधन के इन मंसुबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा। शेखावत ने सवाल उठाया कि घर बैठाए गए इन मजदूरों को रोटेशन प्रणाली से कार्य पर क्यों नही बुलाया जा रहा है। मतलब साफ हैकि इन श्रमिकों के प्रति प्रबंधन की नीयत में खोट है। इसी प्रकार से सैकड़ों ठेका मजदूर भी रोजी- रोटी से मोहताज होने को विवश है। 28 मजदूरों ने नौकरी से धोया हाथ प्रदेश नेता ने यह रहस्योद्घाटन भी किया कि उद्योग प्रबंधन ने 28 मजदूरों को वीआरएस दे दिया है। अधिकारी वर्ग से 53 लोग नौकरी से हाथ धो बैठे हैं। इनको वीआरएस दे दिया गया है। सू़त्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टाफ वर्ग से कई धुंरधरों की नौकरी छिन ली गई है। जिसमें कई वे अधिकारी भी शामिल है, जो कंपनी के वफादार माने जाते थे। बताया जा रहा है कि अधिकारी वर्ग को बुलाकर प्रबंधन दो विकल्प सामने रख रहा है। पहला वीआरएस की सहमति अन्यथा दूसरा विकल्प ग्रेसिम उद्योग कें प्रवेश पर पाबंदी । विधायक बोले मेरे पास आए स्टाफ के लोग सू़त्रों के हवाले से यह खबर आई कि ग्रेसिम के कुछ कर्मचारी नौकरी छिनने की पीड़ा को लेकर क्षे़त्र के कांग्रेस विद्यायक दिलीप सिंह गुर्जर के पास पहुंचे थे। इस मामले में विधायक से संपर्क करने पर उन्होंने इस बात की पुष्टि की हैकि अधिकरी वर्ग के लोग उनसे मिले थे। जिन्होंने बताया थाकि उन्हे काम नहीं दिया जा रहा है। नौकरी भी छिनी जा रही है। विद्यायक गुर्जर का कहना थाकि इन लोगों की बात सुनने के बाद उन्होंने ग्रेसिम प्रबंधन से बातचीत भी की थी, लेकिन कोई संतोशजनक हल सामने नहीं आया। क्यो बोले ग्रेसिम के जनसंपर्क अधिकारी मजदूर नेता षेखावत के इस प्रकार के उठाए गए मामले के बारे में उद्योग प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए ग्रेसिम के जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास से जब दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उनका कहना थाकि ये जो भी आंकडे वीआरएस देने व राशि के बजट को लेकर बताए जा रहे है। वे इनसे अनभिज्ञ हैं। हिन्दुस्थान समाचार/कैलाश सनोलिया/राजू-hindusthansamachar.in

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