गृहस्थ जीवन में कठिनाई को देख शुरू किया सिलाई का काम
गृहस्थ जीवन में कठिनाई को देख शुरू किया सिलाई का काम

गृहस्थ जीवन में कठिनाई को देख शुरू किया सिलाई का काम

अनूपपुर, 12 दिसम्बर (हि.स.)। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के साथ ही यह अहसास हुआ कि पति की कमाई परिवारिक भरण पोषण में कुछ कम पड़ रही है। ऐसे में मुझे भी घर चलाने में उनके साथ हाथ बटाना चाहिए। यह सोचकर पति की छोटी कमाई से एक-एक पैसा जमा करना प्रारम्भ किया, सिलाई मशीन खरीदी और खुद ही अपने घर के पुराने कपड़ों पर चलाकर सीखना आरम्भ किया। यह सिलसिला कुछ दिनों तक चला, सीखने के लिए रात के समय चिमनी की रोशनी में भी मशीन चलाया। इसके बाद पड़ोस की महिलाओं के लिए कपड़े की सिलाई आरम्भ कर दी। अब इस कार्य के बीते 22 साल हो चुका है। कुछ सालों बाद काम मिलने लगा और आज इसी के दम पर पूरे घर का खर्च संभाले हुए हैं। यह कहानी बिजुरी निवासी रोशनी दुबे की है। 1998 से रोशनी दुबे सिलाई बुनाई के कार्य में जुटी हुई हैं। जिनके द्वारा सिलाई का कार्य शौक में ही सीखना प्रारंभ किया गया था। जिसके बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि इससे वह अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर सकती हैं, और बीते 22 वर्षों से वह इस कार्य में जुटी हुई है। रोशनी दुबे बताती है कि शादी तथा अन्य सीजन में इस कार्य में अच्छी आमदनी हो जाती है। वहीं कभी-कभी काम की कमी भी रहती है। इस वजह से यह बताना मुश्किल है कि प्रतिमाह इससे कितनी आमदनी हो सकती है लेकिन इससे उनके घर का खर्च अच्छे से चल जाता है। खुद आत्मनिर्भर बनने के बाद अन्य को कर रही प्रेरित सिलाई कटाई कर अपनी आजीविका चलाने के बाद आसपास के महिलाओं को भी इस कार्य के लिए प्रेरित कर रही है। रोशनी दुबे कहना है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए किसी ना किसी व्यवसाय या रोजगार से जुडना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि किसी काम को आर्थिक आधार पर ही किया जाए, लेकिन परिस्थितियों के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला-hindusthansamachar.in

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