कोरोना से जंग: रैपिड रिस्पांस टीम को समय पर नहीं मिल रहा वेतन
कोरोना से जंग: रैपिड रिस्पांस टीम को समय पर नहीं मिल रहा वेतन

कोरोना से जंग: रैपिड रिस्पांस टीम को समय पर नहीं मिल रहा वेतन

उज्जैन, 18 सितम्बर (हि.स.)। कोरोना से जंग लडऩे में फ्रंट लाइन पर काम करने वाली रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्यों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि अकेला उज्जैन ऐसा शहर है, जहां उन्हे दो-दो माह तक वेतन ही नहीं मिलता है। वे बगैर वेतन के लगातार काम कर रहे हैं, जबकि उनके भी घर-परिवार हैं और पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही वे जोखिम उठा रहे हैं। कोरोना महामारी प्रारंभ होने के साथ ही शासन ने डॉक्टर्स की रैपिड रिस्पांस टीम बनाई थी। इन टीम का काम रहता है सूचना मिलने पर कोरोना पॉजीटिव मरीज को एंबुलेंस के द्वारा हॉस्पिटल तक लाना। उसके परिजनों को क्वारेंटाईन करना। परिजनों तथा रिपोर्ट आने तक संदिग्ध मरीजों का मेडिकल परीक्षण करके लगातार नजर रखना और दवाईयां आदि देना। दिन में दो बार तापमान तथा ऑक्सीजन का प्रतिशत देखना आदि। इस टीम के सदस्य प्रतिदिन प्रात: 9 बजे एकत्रित होकर अपने काम पर निकल जाते हैं। रात्रि में 12 भी बज जाते हैं, चूंकि ये जोखिम के बीच काम कर रहे हैं,ऐसे में इन्हे प्रशासन ने आयसोलेट किया हुआ है। ये होस्टल में रहते हैं और वहीं मेस में खाना खाते हैं। रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्य डॉक्टर्स ने हिस के माध्यम से मुख्यमंत्री से यह मांग की है कि उन्हे संविदा आधार पर रखा गया है। वे जिस जोखिम में काम कर रहे हैं,उसके बदले न तो उनका बीमा है और न ही अन्य कोई शासकीय योजना में वे आते हैं,जिससे कोई हादसा होने पर परिवार को संबल मिल सके। संविदा चिकित्सक के रूप में उन्हे जो मासिक वेतन तय किया गया है,वह भी दो-दो माह बाद मिलता है। ऐसे में वेतन तो समय पर मिल जाए,ताकि परिवार को चला सके। चूंकि वे आयसोलेट हैं,ऐसे में माता-पिता या पत्नि ही घर की देखभाल करती हैं। ऐसे में रूपयों के अभाव में वे रसोई पर असर गिरता है। यह पीड़ा भी है इनकी... इस समय रैपिड रिस्पांस टीम में 25 सदस्य हैं। अप्रैल से मई माह तक इनकी संख्या 50 के उपर थी। बाद में टीम के सदस्य कम किए गए तो जो काम कर रहे थे,वे हटने पर अन्य शहरों में रोजगार की तलाश में चले गए। जो हैं,उनकी एक शिकायत है। उनका कहना है कि 15 अगस्त,स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेश के सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम को जोखिम का काम करने के चलते कोरोना यौद्धा के रूप में प्रमाण पत्र वितरित कर प्रोत्साहित किया गया था। ये उनके लिए एक धरोहर है। उज्जैन जिले में ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने मांग की कि उन्हे प्रमाण पत्र मिले,ताकि वे बता सके कि वे भी कोरोना के खिलाफ फ्रंट लाइन पर जंग लड़ चुके हैं। इस संबंध में रैपिड रिस्पांस टीम के नियोक्ता सह सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल ने कहा कि पता चला कि उन्हे दो-दो माह तक वेतन नहीं मिलता है। वे आज ही यह मामला दिखवाते हैं। प्रोत्साहन प्रमाण पत्र को लेकर उन्होने कहाकि इस मामले में कलेक्टर ही कुछ बता सकेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

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