कांग्रेस का आरोप, प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर हजारों गांव और अधिसूचित फसलें गायब
कांग्रेस का आरोप, प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर हजारों गांव और अधिसूचित फसलें गायब

कांग्रेस का आरोप, प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर हजारों गांव और अधिसूचित फसलें गायब

भोपाल, 13 सितम्बर (हि.स.)। प्रदेश में किसान बीमा के नाम पर भाजपा की सरकार रोज नई-नई बातें कर रही है। लेकिन तथ्य यह है कि आज भी प्रधानमंत्री फसल बीमा के पोर्टल पर लगभग 7 हजार गांव की न तो अधिसूचित फसल दर्ज है और न ही गांव का नाम दर्ज हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बैतूल जिले की समितियों के शिकायती पत्र जारी करते हुए कहा है कि कृषि मंत्री कमल पटेल रोज अपनी झूठी बाहवाही करते रहते हैं लेकिन उन्हें यह भी अंदाजा नहीं है कि उनके पड़ोसी जिले में सैकड़ों गांव की अधिसूचित फसल पोर्टल पर दर्ज ही नहीं है। क्या कमल पटेल बताएंगे कि ऐसी अवस्था में किसानों को किस तरह उनके बीमे के दावे दिए जाएंगे ? भूपेन्द्र गुप्ता ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा है कि जिस तरह से बीमा कंपनी को तय करने में शिवराज सरकार ने चार चार टेंडर किये। उसके बाद भी तय समय सीमा में बीमा कंपनी ही तय नहीं कर पाई। 28 अगस्त को बीमा कंपनी का नाम तय हुआ इसलिए मजबूरी में केंद्र सरकार से गिड़गिड़ा कर 31 तारीख तक अवधि बड़वानी पड़ी। जब कांग्रेस ने यह मामला उठाया कि एक ही दिन में बीमा कैसे होगा तो केवल 5 जिलों का 1 सप्ताह तक बढ़ाने की घोषणा की गई। गुप्ता ने आरोप लगाया कि जब अंतिम तारीख गुजरे दो हफ्ते हो चुके है तब मध्य प्रदेश सरकार बेसुध पड़ी है कि उसके पोर्टल पर किसानों की अधिसूचित फसल और गांव के नाम भी इंद्राज नहीं हो पा रहे हैं। किसानों की बीमा कंपनियों द्वारा किये जाने वाले डॉक्यूमेंटेशन का सारा लोड बैंकों पर डाल दिया गया है लगभग 40लाख किसानों के डॉक्यूमेंटेशन के खर्चे से बीमा कंपनी को बचाकर लगभग 5 करोड का फायदा पहुंचाया गया है। जबकि यह बजन बैंकों पर डाल दिया गया है जिन्हें मजबूरी में समय सीमा के अंदर दस्तावेजी करण करना पड़ रहा है। गुप्ता ने मांग की कि सरकार तत्काल पोर्टल पर गांव एवं अधिसूचित फसलों के इंद्राज होने तक बीमा अवधि खुली रखने का निर्देश पारित करे एवं बीमा कंपनी से भी इसकी घोषणा करवाए। अन्यथा हजारों गांव के लाखों किसान फसल नष्ट होने की अवस्था में बीमा दावे से वंचित रह सकते हैं। उन्होंने बताया कि बैतूल के भीमपुर धावला बाड़े गांव छिंदखेड़ा आदि ग्रामों की अधिसूचित फसलें पोर्टल पर ना होने की लिखित शिकायतें सहकारी समितियों ने की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लीड बैंक द्वारा भी इस तरह की शिकायत शासन स्तर पर किए जाने के बावजूद इनका निराकरण नहीं किया गया है। यह किसान हितैषी सरकार का दो मुहांपन है। हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा पाण्डेय-hindusthansamachar.in

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