एनर्जी का अंधाधुंध उपभोग मॉर्डन मनुष्य की सबसे बड़ी भूल : डॉ. सोलंकी
एनर्जी का अंधाधुंध उपभोग मॉर्डन मनुष्य की सबसे बड़ी भूल : डॉ. सोलंकी

एनर्जी का अंधाधुंध उपभोग मॉर्डन मनुष्य की सबसे बड़ी भूल : डॉ. सोलंकी

मप्र के सोलर एनर्जी ब्रांड एंबेसेडर ने आदत बदलने का किया अनुरोध खरगौन, 08 दिसम्बर (हि.स.)। राज्य सरकार ने भीकनगांव के डॉ. चेतन सोलंकी को सोलर एनर्जी में प्रदेश का ब्रांड एंबेसेडर नियुक्त किया है। आईआईटी बाम्बे में प्रोफेसर के तौर पर कार्य कर रहे डॉ. सोलंकी 26 नवम्बर से भारत देश की सोलर स्वराज यात्रा पर निकले हैं। वर्ष 2030 तक वे अपनी इस यात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर बिजली की खपत कम करते हुए सोलर एनर्जी का उपयोग और मनुष्य की आदतों को बदलने का अनुरोध कर रहे हैं। मंगलवार को डॉ. सोलंकी ने खरगोन के महाविद्यालय में प्रोफेसर, व्याख्याताओं, शहर के बुद्धिजीवी और विद्यार्थियों के बीच सौलर एनर्जी और मानव जीवन पर अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने वर्तमान मॉर्डन मनुष्य की सबसे बड़ी तीन भूल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि मानव इस धरती का सबसे बड़ा खतरनाक प्राणी है, जो अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि मॉर्डन मनुष्य की लालच आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे घातक साबित होगी। इसके परिणाम आज से ही मिलना प्रारंभ हो गए है। डॉ. सोलंकी ने कहा कि मॉर्डन मनुष्य ने जमीन से पानी निकालना तो सीख लिया, लेकिन बारिश में पुन: धरती को पानी लौटाने की नहीं सोची, यहीं मनुष्य की मुर्खता है। साथ ही मनुष्य की सबसे बड़ी भूल उसकी अज्ञानता भी है। वह सब कुछ जानते हुए भी अज्ञानी बनकर नजर अंदाज करने लगा है। यही सबसे बड़ी मुसीबत का कारण है। हम सब आने वाली पीढ़ी को प्यार नहीं, बल्कि मृत्यू का न्यौता दे रहे हैं। मानव जीवन की उल्टी गिनती शुरू आईआईटी में प्रो. डॉ. चेतन सोलंकी ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि धीरे-धीरे हम जीवन समाप्ति की ओर बढ़ रहे हैं। एनर्जी बचाने का काम सिर्फ सरकारों का ही नहीं है अब हम सबको आगे आना होगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विश्व की कई वेबसाइट और संस्थाओं ने मानव जीवन की उल्टी गिनती शुरू कर दी है। मौजूदा समय में हमारे आसपास जिस तरह कार्बन डाईआक्साईड है, उसके अनुसार कई प्रजातियां पेड़-पौधे और यहां तक की पशु-पक्षियों का अस्तित्व भी खत्म होते जा रहा है। इसी तरह किसी दिन मानव का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। इससे पहले हम सबको जागना होगा और अपनी आदतें बदलनी होंगी। बदलनी होगी आदतें माइक्रों इलेक्ट्रॉनिक्स में अध्ययन करने के बाद डॉ. सोलंकी ने सोलर एनर्जी की पढ़ाई प्रारंभ की। उन्होंने प्रेसवार्ता और कॉलेज में दिए गए उद्बोधन में उपाय भी सुझाएं। उन्होंने कहा कि हमकों बिजली कनेक्शन मुक्त घर करने होंगे। वहीं फ्रिज व एसी जैसे उपकरणों का उपयोग कम करना होगा। कोशिश करें कि सर्दी के सीजन में इन दिनों का उपयोग बंद कर दें। जितने पानी की आवश्यकता होती है, उतना ही उपयोग करें और ज्यादातर पानी जमीन में वापस करने का काम कर सकते है। सबसे ज्यादा समाज में इसे चर्चा का विषय अवश्य बनाए। हर एक के साथ इस पर विचार साझा करें। जितने ज्यादा लोग इस पर विचार करें, उतनी ज्यादा जागरूकता आएगी और सोलर एनर्जी के प्रति विश्वास बढ़ेगा। कलेक्टर से की मुलाकात डॉ. सोलंकी ने कलेक्टर अनुग्रह पी से मुलाकात करते हुए आगामी मानव जीवन पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही उन्होंने इंदौर और उज्जैन के प्रयासों के बारे में बताया। इंदौर के खजराना और उज्जैन के महाकाल मंदिर में सोलर एजर्नी पैनल स्थापित करने का आश्वासन दिया। कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह ने अक्षय ऊर्जा अधिकारी राजेंद्र गोयल से कहा कि ऐसे भवन और स्थान चयन करें, जहां पूरी तरह सोलर पैनल से ऊर्जा का उपयोग कर सकें। मुलाकात के पष्चात कलेक्टर ने सोलर एनर्जी यात्रा वाहन का अवलोकन किया। डॉ. सोलंकी ने कहा कि 11 वर्षों तक यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी और देश के कई हिस्सों में पहुंचेगी। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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