एड्स पीडित नियमित दवाएं लेकर स्वस्थ्य व्यक्तियों की तरह जी सकते हैं जीवनः सीएचएमओ
एड्स पीडित नियमित दवाएं लेकर स्वस्थ्य व्यक्तियों की तरह जी सकते हैं जीवनः सीएचएमओ

एड्स पीडित नियमित दवाएं लेकर स्वस्थ्य व्यक्तियों की तरह जी सकते हैं जीवनः सीएचएमओ

सिवनी, 01 दिसम्बर(हि.स.)। एचआईवी एड्स पीड़ित व्यक्ति यदि नियमित रूप से एआरटी की दवाई लेता है एवं परामर्श के अनुसार अपनी दिनचर्या बनाये रखता है, तो वह स्वस्थ व्यक्तियो की तरह पूरा जीवन जी सकता है। यह बात मंगलवार को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी.मेश्राम ने कही। उन्होनें कहा कि वर्तमान में एआरटी केन्द्र में कुल 2180 एचआईवी पॉजिटिव मरीज पंजीकृत है, इसमें 8 गर्भवती महिलाएं है। एड्स एक ऐसी बीमारी है,जिसमे इंसान की संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इस बार की थीम वैश्विक एकजुटता एवं सांझा जिम्मेदारी रखी गई है। 1959 में अफ्रीका के कॉन्गो में एड्स का पहला मामला सामने आया था, जिसमें कि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जब उसके रक्त की जांच की गई तो पुष्टि हुई कि उसे एड्स है। 1986 में यह बीमारी भारत आई। जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. जयज काकोडिया ने कहा कि एचआईवी पीड़ित व्यक्ति को टीबी होने की संभावना भी बहुत अधिक होती है। एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति जो दवाइयां समय पर नही लेते हैं या बीच में छोड़ देते हैं, उनको वापस मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य किया जाता है। ताकि मरीज समय पर दवाई ले सके और एक अच्छा जीवन जी सके। एड्स के उपचार में एंटी रेट्रोवाईरल थेरपी दवाईयों का उपयोग किया जाता है. इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और अवसरवादी रोगों को ठीक करना होता है। समय के साथ-साथ वैज्ञानिक एड्स की नई-नई दवाइयों की खोज कर रहे हैं, लेकिन अभी तक एड्स से बचाव ही एड्स का बेहतर इलाज है। हमारे कर्मचारियों द्वारा एचआईव्ही मरीजो की गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा जाता है। आईसीटीसी केंद्र के परामर्शदाता अशोक गौवंशी ने बताया कि विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जिला एड्स नियंत्रण समिति द्वारा प्रस्तावित कार्ययोजना के अनुसार जिले में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/रवि सनोडिया-hindusthansamachar.in

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