उपचुनाव में नहीं चला बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ मुद्दा, सिंधिया खेमे के चेहरों ने दिखाया दम
उपचुनाव में नहीं चला बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ मुद्दा, सिंधिया खेमे के चेहरों ने दिखाया दम

उपचुनाव में नहीं चला बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ मुद्दा, सिंधिया खेमे के चेहरों ने दिखाया दम

भोपाल, 11 नवम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में दिपावली से पहलीे ही भाजपा ने एक बार फिर जीत का परचम लहराया है। इसके साथ ही प्रदेश में शिवराज की सत्ता बरकरार रहेगी। वहीं टिकाऊ और बिकाऊ का मुद्दे के साथ उपचुनाव में पूरा जोर लगाने वाली कांग्रेस को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। चुनाव परिणाम से यह तो साफ हो गया है कि जनता ने बिकाऊ और टिकाऊ को नकारते हुए शिवराज पर विश्वास जताया है। दरअसल, उपचुनाव शिवराज और कमलनाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए थे। इसके अल्पमत में आई कांग्रेस सरकार के सीएम कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा और शिवराज ने एक बार फिर प्रदेश की कमान संभाली। इसके बाद उपचुनाव के लिए शिवराज सरकार ने सिंधिया समर्थक अपने 14 मंत्री मैदान में उतारे थे। जिसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने अपने प्रचार प्रसार के दौरान खूब टिकाऊ और बिकाऊ का नारा लगाया। लेकिन परिणाम कुछ और निकले। इनमें ज्यादातर ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग, महेन्द्र सिंह सिसोदिया और बिसाहूलाल सिंह ने 2018 के चुनाव के मुकाबले उपचुनाव में ज्यादा वोटों से जीते हैं। मध्यप्रदेश में उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा के सत्ता पलट पर मुहर लगाई। कांग्रेस के बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ के मुद्दे को खारिज कर दिया। शिवराज के चेहरे पर फिर भरोसा जताया, साथ ही सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे के फैसले को भी सही साबित किया है। कुछ एक मंत्रियों को छोड़ दिए जाए, तो उपचुनाव के नतीजों में सिंधिया का दमखम नजर आया। हिन्दुस्थान समाचार/ नेहा पाण्डेय-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in