आसमान में भी है एक कुम्भ की घड़ी जुपिटर और सूर्य हैं इस घड़ी के कांटे
आसमान में भी है एक कुम्भ की घड़ी जुपिटर और सूर्य हैं इस घड़ी के कांटे

आसमान में भी है एक कुम्भ की घड़ी, जुपिटर और सूर्य हैं इस घड़ी के कांटे

विज्ञान प्रसारक सारिका ने तैयार किया कुंभ घड़ी का मॉडल भोपाल, 19 जनवरी (हि.स.)। हरिद्वार में मकर संक्रांति के स्नान से पारंपरिक सांस्कृतिक मेले कुम्भ की संक्षिप्त रूप से शुरुआत हो चुकी है, लेकिन कोविड को देखते हुये यह महाकुम्भ मार्च-अप्रैल माह में ही पूर्णरूप से मनाया जायेगा। हरिद्वार के अतिरिक्त प्रयाग, उज्जैन एवं नासिक में आयोजित होने वाले कुम्भ के निर्धारण की मान्यताओं का खगोल विज्ञान समझाने के लिए भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कुम्भ घड़ी का एक मॉडल तैयार किया है। इसकी मदद से कुम्भ मेले के आयोजन के समय निर्धारण को आसानी से समझा जा सकता है। सारिका ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि कुम्भ का निर्धारण जुपिटर और सूर्य के पीछे दिखने वाले तारामंडल के आधार पर किया गया है। जब जुपिटर के पीछे वृषभ तारामंडल और सूर्य के पीछे मकर तारामंडल हो तो प्रयाग में कुम्भ होता है। इसी प्रकार जब जुपिटर के पीछे सिंह तारामंडल हो और सूर्य के पीछे मेष तारामंडल तो उज्जैन में सिंहस्थ होता है। इसी साल सूर्य के पीछे सिंह तारामंडल आने पर नासिक में कुम्भ होगा, जबकि उज्जैन एवं नासिक मेंं चार माह के अंतराल से कुम्भ का आयोजन होता है। इसके छह साल बाद जब जुपिटर कुम्भ तारामंडल और सूर्य के पीछे मेष तारामंडल हो तो हरिद्वार में कुम्भ होता है। यह स्थिति 2021 में बनी है, इसलिये अभी हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन हो रहा है। उन्होंने जो कुम्भ घड़ी का मॉडल बनाया है इसमें आकाश में पूर्व से पश्चिम दिशा में रहने वाले 12 तारामंडल को घड़ी के 12 अंकों के समान दिखाया गया है। घड़ी में मिनट के कांटे पर सूर्य को लगाया, जबकि घंटे के कांटे पर जुपिटर को स्थापित किया। जब सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला मिनट का कांटा 360 डिग्री का एक पूरा चक्कर लगाता है तब जुपिटर वाला कांटा एक अंक आगे बढ़ जाता है। सारिका ने बताया कि इसी प्रकार पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल हर माह में बदलता रहता है। 12 माह में सूर्य के पीछे से पूरे 12 तारामंडल निकल जाते हैं। इस दौरान जुपिटर एक तारामंडल आगे निकलता है। जुपिटर को पूरे तारामंडल को पार करने में लगभग 12 साल लगते हैं। उन्होंने बताया कि आकाश एक यूनिवर्सल घड़ी की तरह कार्य करता है, जिसमें सौर परिवार का सबसे बड़ा तथा आसानी से पहचान आने वाला जुपिटर यह निर्धारित करता है कि किसी साल कुम्भ का आयोजन कहां होगा और सूर्य की स्थिति कुम्भ के आयोजन के माह को निर्धारित करती है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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