आंटी...आपको कोरोना हो गया है...हॉस्पिटल चलो..
आंटी...आपको कोरोना हो गया है...हॉस्पिटल चलो..

आंटी...आपको कोरोना हो गया है...हॉस्पिटल चलो..

भैया: रूक जाओ, रोटी बना रही हूं,बच्चे भूखे रहेंगे....! उज्जैन, 27 सितम्बर (हि.स.)। कोरोना किस प्रकार से मार्मिक दृश्य उत्पन्न कर रहा है, उसकी एक बानगी देखने को उज्जैन में मिली। रैपिड रिस्पासं टीम का एक डॉक्टर जब कोरोना पॉजीटिव मरीज की लोकेशन मिलने के बाद उसे लेने पहुंचा तो एम्बुलेंस देखते ही घर में हलचल बढ़ गई। छोटे-छोटे बच्चे टुकूर-टुकूर देखने लगे। वे कुछ समझते,इसके पहले ही टीम का डॉक्टर एवं एक पुलिसवाला कार से नीचे उतरा और आवाज देकर बोला: आंटी...आपको कोरोना हो गया है। रिपोर्ट आ गई है। चलो हॉस्पिटल। दो कमरो के कच्चे मकान के अंदरवाले कमरे से आवाज आई। भैया...थोडा रूक जाओ। रोटी बना रही हूं..बच्चे भूखे रहेंगे। इसके बाद आरआरटी का डॉक्टर बोला: आंटी, बच्चों को भी कोरोना कर दोगी। आप पॉजीटिव हो। घर में कोई और है या नहीं? जवाब आया: भैया, हाथ जोड़ती हूं,थोड़ा सा रूक जाओ। कुछ देर बाद रोती हुई महिला बाहर आई और थेली में कपड़े डालकर बोली: चलो...। बच्चे रोते होते हुए उसे देख रहे थे। इधर रात को जब पिता घर आए तो बच्चे बोले: पुलिस आई थी, मां को ले गई। पिता के चेहरे पर चुप्पी थी। उसके पास न तो मोबाइल फोन है और न ही उसकी पत्नि के पास। उसका कहा कहना है कि साहब, यूं भी कोरोना ने सबकुछ भगवान भरोसे कर दिया है। वह ठीक होकर आएगी या नहीं, भगवान ही जाने। यह किसी फिल्मी पटकथा का हिस्सा नहीं,शहर की एक पिछड़ी कालोनी में रहनेवाली परिवार की व्यथा है। पति मजदूरी करने जाता है और पत्नि लोगों के घरों पर बर्तन-पौछा करने। पति ठीक है। पत्नि को किसी सम्पन्न परिवार से कोरोना मिला बर्तन ओर पौछा लगाने के दौरान। जब खांसने लगी और सर्दी बंद नहीं हुई तो मौहल्ले के दवाखाने पर गई। डॉक्टर ने कहाकि सरकारी अस्पताल जाओ। वहां उसकी हालत देखकर सेम्पल ले लिया। उसे कहा गया कि भर्ती हो जाओ। यहां दूसरा रंग देखने को मिला आरआरटी को आरआरटी के एक डॉक्टर को एक पिछड़ी कालोनी में रहनेवाली महिला का पता मिला,जो पॉजीटिव आई थी। डॉक्टर घर का पता पूछता हुआ कालोनी में पहुंचा। संबंधित घर पर गया तो प्रोढ़ महिला मिली। उसने कहा: हमने तो सेम्पल नहीं दिया। इस नाम की एक महिला भी बस्ती में रहती है। आप वहां चले जाओ। डॉक्टर बताए गए पते पर पहुंचा तो महिला का नाम वही निकला, लेकिन उसने कहाकि हमने तो कोई सेम्पल नहीं दिया। इस पर डॉक्टर चकरा गया। एक ही नाम की दो महिला,दोनों इंकार कर रही। डॉक्टर ने पता लगवाया कि सेम्पल किसने लिया था। जानकारी लगने पर संबंधित से चर्चा की। उसके बताए हुलिए अनुसार पहलीवाली महिला पॉजीटिव आई थी। डॉक्टर पुन:पहुंचा और साथ चल रहे पुलिसकर्मी ने महिला को हड़काया। जब पुलिस कार्रवाई की बात कही तो महिला बोली: हां,मैरा ही सेम्पल लिया था। साथ ही कहा,मै साड़ी बदलकर आती हूं। आरआरटी के अनुसार रोजाना कुछ न कुछ ऐसा घट रहा है जो समाज के दो रूप सामने लाता है। कहीं संवेदनाओं की जरूरत है तो कहीं डांट फटकार के बगैर काम नहीं चलता। हिन्दुस्थान समाचार/ललित/राजू-hindusthansamachar.in

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