अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे - ब्रह्माकुमारी
अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे - ब्रह्माकुमारी

अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे - ब्रह्माकुमारी

रतलाम, 14 नवम्बर (हि.स.)। हमारे भारतीय त्यौहारों में बहुत सी रस्में होती हैं। यह रस्में एक दिन के लिए नहीं बल्कि हमारे अंदर अच्छे संस्कार निर्मित करने के लिए बनाई गई हैं। सभी रस्मों के आध्यात्मिक अर्थ को जान व समझकर यदि हम पर्व मनाएं तब ही पर्व मनाने की सार्थकता होगी। ये संस्कार स्वच्छता के हों, ब्रह्ममुहूर्त में उठने के हों, प्रात: स्नान के हों या कोई और। हम दीवाली में घर के चारों कोनों की सफाई तो करते हैं, लेकिन अपने तन-मन-धन व संबंधों की ओर ध्यान नहीं देते। दीपावली त्यौहार में हम सब जिस प्रकार घर की सफाई का ध्यान रखते हैं उसी प्रकार अन्तर्मन की सफाई भी जरूरी है। बाहर के अन्धकार को तो मिट्टी के दीपक जलाकर दूर कर सकते हैं किन्तु अन्र्तमन में छाए हुए अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे। यह विचार शनिवार को दीपावली के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय दिव्य दर्शन भवन डोंगरे नगर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने व्यक्त किए। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि आओ हम सभी मनुष्य सत्य परमात्मा से सत्य ज्ञान लेकर अपने जीवन को पावन बनाएं। अपनी आत्म ज्योति जगाकर ईश्वरीय मिलन का वास्तविक सुख प्राप्त करें। ऐसे मनोपरिवर्तन से ही पृथ्वी पर स्वर्ग आएगा,जहाँ श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का वास होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमेशा दूसरों के लिए अच्छा सोचें। सदैव शुभ सोचेंगे तो लाभ होना ही है। इसीलिए हमारी भारतीय संस्कृति में जब कोई नया कार्य शुरू करते हैं तो स्वस्तिक के साथ शुभ और लाभ लिखते हैं। क्योंकि शुभ के साथ लाभ जुड़ा हुआ है। देवत्व अर्थात् देने की निशानी है दिया जलाना हम जिनसे भी मिलें उन्हें प्रेम, खुशी, शांति, ज्ञान, गुण व शक्तियों का कुछ न कुछ दान देते रहें। कार्यक्रम की अंतिम श्रृंखला में सभी उपस्थित भाई बहनों ने अपना अपना दीपक जलाया और संचालिका सविता दीदी द्वारा प्रसाद वितरण किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी-hindusthansamachar.in

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