अतिक्रमण ने बिगाड़ी शहर की यातायात व्यवस्था
गुना, 24 दिसम्बर (हि.स.)। मौजूदा समय में शहर की मुख्य व गंभीर समस्या अतिक्रमण है। जिसके कारण ही पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चारों खाने चित्त पड़ी है। शहर से गुजरे एबी रोड सहित मुख्य बाजार तक आने जाने वाले रास्तों में बढ़ते जा रहे स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण ने पैदल चलना तक मुश्किल कर दिया है। बिगड़ती यातायात व्यवस्था को सुधारने पुलिस व प्रशासन बीते दो सालों से प्रयास कर रहा है। लेकिन संबंधित विभागों के बीच आपसी समन्वय न होने के कारण यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। समय के साथ शहर की आबादी बढ़ती जा रही है और उसी क्रम में क्षेत्रफल भी बढ़ता चला जा रहा है। लेकिन उस अनुपात में व्यवस्थाओं का दायरा नहीं बढ़ पा रहा है। इसके उलट लगातार स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण ने शहर की ट्रेफिक व्यवस्था को इतना ज्यादा बिगाड़ दिया है कि इसे विभाग अब कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। चिंताजनक बात तो यह है कि अनकंट्रोल होती जा रही ट्रेफिक व्यवस्था को सुधारने शासन ने यातायात विभाग में जो पद स्वीकृत किए हैं वे वर्षों से खाली पड़े हैं। जिसके कारण विभाग को व्यवस्था संभालने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर के प्रमुख चौराहों से लेकर मुख्य मार्गों पर आमजन को जाम जैसी गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। स्टाफ व संसाधन के अभाव में यातायात विभाग असहाय बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक करीब ढाई लाख आबादी वाले गुना शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए यातायात विभाग में कुल 68 पद स्वीकृत हैं। लेकिन वर्तमान में 60 पद ही भरे हैंं। 8 महत्वपूर्ण पद अभी भी खाली हैं। सूबेदार के तीन पदों में से दो, प्रधान आरक्षक के 11 में से 5 पद ही भरे हैं। ऐसे में शहर में दिनों दिन बिगड़ती जा रही ट्रैफिक व्यवस्था वर्तमान में गंभीर समस्या बन चुकी है। जिससे हर वर्ग परेशान है। लेकिन यह व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इसका मूल कारण व जमीनी हकीकत जानने के लिए गुरुवार को शहर के प्रमुख चौराहों पर जाकर देखा। इस दौरान तीन प्रमुख चौराहों में से सिर्फ हनुमान चौराहे पर ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी करते हुए नजर आया। जहां सबसे अधिक ट्रैफिक रहता है। इसके अलावा तेलघानी चौराहा, जयस्तम्भ चौराहा पर ट्रैफिक सिंग्नल लगे तो मिले लेकिन वह बंद थे। गुरुद्वारा चौराहा पर कोई ट्रैफिक सिग्नल मौजूद नहीं मिले। वाहन चालक अपने हिसाब से इधर से उधर निकल रहे थे। ट्रैफिककर्मी की अनुपस्थिति के कारण बार-बार जाम की स्थिति निर्मित हो रही थी। यही नहीं बेतरतीब तरीके से निकल रहे वाहन चालक एक दूसरे से टकरा रहे थे। कुल मिलाकर ट्रैफिक पुलिस के पास न तो पर्याप्त स्टॉफ है और न ही जरूरी संसाधन। इनके न होने से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था तमाम प्रयास के बाद भी सुधरने को तैयार नहीं हैं। शहर में आउट ऑफ कंट्रोल होती जा रही ट्रैफिक व्यवस्था का एक और कारण मेन पावर की बेहद कमी सामने आई है। - धुएं व धूल से बचने नहीं हैं कोई इंतजाम चौराहे पर खड़े रहकर प्रतिदिन दिन यातायात व्यवस्था संभालने वाले ट्रैफिकर्मी हर दिन धुएं व धूल का शिकार हो रहे हैं। स्टाफ की कमी के कारण ऑफ व छुट्टी नहीं मिल पाती है। ड्यूटी के दौरान धूल व धुएं से बचाव के लिए मास्क उपलब्ध नहीं हैं। लगातार धूल का शिकार होने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कहां क्या मिली स्थिति जयस्तंभ चौराहा हालात : यहां कोई भी ट्रेफिककर्मी मौजूद नहीं था। सडक़ के एक साइड नपा कर्मचारी मास्क न लगाने वालों को पकडऩे घात लगाकर खड़े हुए थे। वहीं सडक़ की दूसरी ओर कोई भी मौजूद नहीं था। चौराहा पर बेतरतीब ढंग से से चल रहे वाहन चालकों को रोकने टोकने कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। सभी अपने हिसाब से ट्रैफिक नियमों को तोडक़र निकल रहे थे। जिससे बार-बार जाम की स्थिति निर्मित हो रही थी। यह स्थिति तब थी जब इसी चौराहा पर ठीक सामने नगर पुलिस अधीक्षक का कार्यालय है। - हनुमान चौराहा हालात : यह चौराहा शहर के सबसे व्यस्तम चौराहों में से एक है। दोपहर 12 बजे के समय इतना अधिक ट्रैफिक था कि वहां मौजूद एक मात्र पुलिसकर्मी वाहन चालकों को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। चिंजाजनक बात है कि यहां ट्रैफिक सिग्नल लगे होने के बावजूद वाहन चालक सिग्नल को अनदेखा कर अपने वाहन निकाल रहे थे। जब ट्रैफिक कर्मी ने उक्त वाहन चालकों को रोका तो वे बहस करने लगे। - तेलघानी चौराहा हालात : दुर्घटना के मामले में यह चौराहा सबसे ज्यादा खतरनाक है। क्यों यहां वाहन चार तरफ से नहीं बल्कि सात तरफ से आते हैं। इसकी मुख्य वजह सडक़ के दोनों ओर कई कलॉनियों की गलियां हैंं। जहां से वाहन चालक अत्याधिक स्पीड से आते हैं। वहीं ट्रेफिक कर्मी बीच चौराहा पर मौजूद नहीं रहता। जब यहां पत्रिका टीम आई तब भी ट्रेफिककर्मी मौके से नदारद था। वाहन चालक अपने हिसाब से ही निकल रहे थे। तेलघानी चौराहा पर सिग्नल न होने से भी परेशानी बढ़ी है। यह चौराहा जिस स्थान पर है वहां की सामने की गलियों में आधा दर्जन कोचिंग सेंटर संचालित होते हैं। जैसे ही बच्चे सेंटर से छूटते हैं तो चौराहे पर वाहन चालक बच्चों की संख्या काफी अधिक हो जाती है। जो दाएं बाएं देखे बिना ही अपने वाहन निकालते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक-hindusthansamachar.in