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महिला बाल विकास विभाग ने बरती टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, महिलाओं ने जताई आपत्ति

अशोकनगर, 31 मार्च (हि.स.)। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोषण आहार का ठेका देने में बरती गई अनियमितता को लेकर बुधवार को स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में हंगामा कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई गई। स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा अपनी आपत्ति दर्ज कराने के बाद लेकिन बाद में समिति द्वारा प्रक्रिया को 8 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है। दरअसल आंगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों को पोषण आहार वितरण के लिए स्वसहायता समूहों को जिम्मेदारी दी जानी है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा इसके लिए नियमानुसार निविदा प्रक्रिया अपनानी थी लेकिन जिला कार्यक्रम अधिकारी जयवंत वर्मा द्वारा जो विज्ञप्ति समाचार पत्रों में प्रकाशन हेतु 25 मार्च को भेजने हेतु बताई जा रही है वह समाचार पत्रों में 10 दिन बाद प्रकाशित हुई जबकि विज्ञप्ति को बमुश्किल दो-तीन दिन बाद ही प्रकाशित हो जाना चाहिए था साथ ही इस विज्ञप्ति में आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 27 मार्च दी गई थी, जबकि नियमानुसार स्वसहायता समूहों को विज्ञप्ति प्रकाशन से करीब दस से पंद्रह दिन का समय अपने दस्तावेज तैयार करने के लिए मिलना चाहिए था। यही नहीं उक्त विज्ञप्ति जिले से बाहर वितरित होने वाले समाचार के संस्करणों में प्रकाशित हुई थी। इन सभी बातों की शिकायत कई स्वसहायता समूह संचालिकाओं द्वारा महिला बाल विकास विभाग एवं प्रशासन सहित प्रमुख सचिव से की गई थी। एक बार फिर इन स्वसहायता समूह की महिलाओं ने जब देखा कि बुधवार को भी टेण्डर प्रक्रिया रद्द नहीं की गई है तो पुन: जिला प्रशासन को शिकायत की गई। लगातार हो रही शिकायतों के बाद जिस समिति को टेण्डर प्रक्रिया पूरी करानी है उसने 8 अप्रैल तक का समय अन्य स्वसहायता समूहों को दिया है जिससे कि वह अपने आवेदन व चालानजमा कराकर टेण्डर प्रक्रिया में भाग ले सकें। प्रशासन द्वारा समय वृद्धि के बाद समूह संचालकों ने राहत की सांस तो ली है साथ ही यह भी कहा है कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि हमारी शिकायतें जायज थीं। अधिकारी बोले-पहले खोले जाएंगे टेण्डर बाद में दूंगा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना इस पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी जयवंत वर्मा की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। विज्ञप्ति में जो भाषा उपयोग की गई है उसके कारण भी अधिकांश स्वसहायता समूह प्रक्रिया में भाग लेने से या तो वंचित हो गए हैं या फिर चयन प्रक्रिया के दौरान बाहर हो जाएंगे। इस संबंध में जब श्री वर्मा से चर्चा की कि उन्होंने जो विज्ञप्ति जारी की है उसमें विज्ञप्ति प्रकाशन से दस दिवस वाक्यांश का प्रयोग क्यों नहीं किया एवं विज्ञप्ति विलंब से प्रकाशित होने की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी है क्या तो उनका कहना था कि हमने तो विज्ञप्ति प्रकाशन के लिए 15 मार्च को ही जनसंपर्क विभाग को भेज दी थी। पहले जब भी विज्ञप्ति भेजी है तो वह तीन-चार दिन बाद ही प्रकाशित हो जाती थी परन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ लेकिन इसमें हमारी गलती नहीं है। पहले हम टेण्डर प्रक्रिया नियमानुसार पूरी कराएंगे। इसके बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देकर उनसे मार्गदर्शन लेंगे। कुल मिलाकर विभाग अपनी गलती न तो स्वीकार कर रहा है और न ही पारदर्शितापूर्ण तरीके से कार्य कर सभी समूहों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का मौका नहीं दे रहा है। डिप्टी कलेक्टर बोले-मुझे नहीं दी गई सूचना इस टेण्डर प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए एक समिति गठित की गई है जिसके अध्यक्ष डिप्टी कलेक्टर सुरेश जाधव हैं। महिला बाल विकास अधिकारी जयवंत वर्मा ने जब बताया कि समिति के अध्यक्ष की अनुपस्थिति के कारण आज टेण्डर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तब समाचार पत्र प्रतिनिधि ने डिप्टी कलेक्टर जाधव से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मुझे विधिवत सूचना नहीं थी एवं मैं दूसरे कार्य में भी व्यस्त था। वास्तविकता तो यह है कि मैंने अभी तक विज्ञप्ति नहीं देखी है इसी कारण आज प्रक्रिया रोक दी गई है। साथ ही अब 8 अप्रैल तक स्वसहायता समूहों से आवेदन लिए जाएंगे। जाहिर है कि विभागीय अधिकारी ने समिति के अध्यक्ष तक को विधिवत सूचना नहीं दी जिससे पूरी प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में है। वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार देवेन्द्र

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