मेडागास्कर पद्धति अपनाकर दो किसानों ने प्राप्त किया अच्छा उत्पादन
सिवनी, 14 जून (हि.स.)। जिले के बरघाट विकाखंड अंतर्गत 03 कृषकों ने मेडागास्कर पद्धति अपनाकर अधिक उत्पादन धान की खेती कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया। कृषि उपसंचालक मोरिश नाथ ने सोमवार शाम को बताया गया कि जिले में धान का रकबा लगभग 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर है, जिसमें परम्परागत रूप से छिंटकवा पद्धति अथवा सीड ड्रिल के माध्यम से सीधे धान की बोनी कर खेती की जाती है। जिससे धान का उत्पादन आशा का अनुरूप नही हो पाता है इसलिये कृषक भाई धान उत्पादन की नई तकनीकि मेडागास्कर प को अपनाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है। मेडागास्कर पद्धति जिसे एसआरआई पद्धति भी कहते है इसे अपनाने के लिये महत्वपूर्ण सिध्दांतों का पालन करना पड़ता है। इन सिद्धातों में नर्सरी डालते समय नर्सरी डालने वाले स्थान पर वर्मी कम्पोस्ट अथवा अच्छी सड़ी हुयी गोबर की खाद का प्रयोग करें। 15 दिन से कम अवधि की पौध की रोपाई करना आवश्यक है। रोपा लगाते समय पौधों को सीधा लगाना आवश्यक है। एक स्थान पर एक ही पौधा लगाना चाहिए। नर्सरी से उखाड़कर तुरन्त ही पौधो की रोपाई करनी चाहिए। पौधों को नर्सरी से उखाड़कर बांधना नही चाहिए बल्कि किसी तसले में लेकर रोपाई करनी चाहिए। खेत में पानी ना भरकर सिर्फ नमी बनाये रखना आवश्यक है। पौध रोपाई के 20 दिन बाद एवं फिर 12-15 दिन के अन्तर पर कोनोविड़र के माध्यम से निंदाई गुढ़ाई करनी चाहिए। बताया गया कि कोनोविड़र के माध्यम से निंदाई-गुढ़ाई करना अति आवश्यक है जिससे अधिक संख्या में कल्ले निकलते हैं और कल्लों की अधिक संख्या होने पर उत्पादन में वृद्धि होती है। इसके अलावा शेष अन्य प्रबंधन कृषक भाई धान की सामान्य खेती की तरह ही अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस पद्धति से धान की खेती कर कृषक अयोध्या प्रसाद पुत्र रूपलाल भोयर ग्राम कांचना, विकासखण्ड बरघाट द्वारा प्रति हेक्टेयर 65 क्विटल एवं धुरपता पत्नी कुपरचंद ग्राम कोसमी वि.ख.बरघाट द्वारा प्रति हेक्टेयर 75 क्विटल धान का उत्पादन लिया गया। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिये कृषक उपसंचालक, कृषि कार्यालय सिवनी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी से सम्पर्क कर सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रवि सनोडिया