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बैंकों में सोमवार से रहेगी दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल

भोपाल, 14 मार्च (हि.स.)। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आव्हान पर सरकार की निजीकरण की नीति के विरोध में बैंकों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल रहेगी। यूनाइटेड फोरम के जिला अध्यक्ष किशोर जेवरिया और सचिव सतीष भटनागर ने रविवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के सभी बैंकों में 15 और 16 मार्च को पूर्ण हड़ताल रहेगी। इस दौरान सभी बैंक कर्मचारी-अधिकारी निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि बैंकों में जनता का लाखों करोड़ रुपये जमा है। सरकार इसे निजी हाथों में सौंपना चाहती है। निजी हाथों में बैंकों के रहने से जनता के रुपये डूबने की आंशका है। पूर्व में भी लोग अपने ही पैसे निकालने के लिये भटकते रहे हैं। आजादी के बाद से बैंकों के राष्ट्रीयकरण होने तक बीस वर्षों में निजी क्षेत्र की 736 बैंकों ने दिवाला निकाला। हाल ही में पीएमसी और यस बैंक का डूबना इसका उदाहरण है। राष्ट्रीयकरण के बाद जनता का पैसा सुरक्षित रूप से जमा रहा। छोटे-छोटे व्यवसायियों को लोन मिलने लगा। सरकार बैंकों को पुन: पूंजीपतियों व कॉर्पोरेट घरानों को सौंपकर उनके लिये जनता के पैसे हड़पने के रास्ते खोलना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने बाकायदा बैंकों को बदनाम करने की मुहिम चला रही है, ताकि आम जनता को यह संदेश जाए कि बैंकों का काम ठीक नहीं चल रहा है। सरकार बड़े कॉर्पोरेट घरानों से ऋण वसूली में कोई रूचि नहीं दिखा रही है। उलटे उनके लगभग 7 लाख करोड़ रुपये राइट ऑफ कर दिया है। जबकि बैंक यूनियनें इनकी सूची सार्वजनिक कर इन्हें गिरफ्तार करने और इनकी सम्पत्ति जब्त करने की मांग करती रही है। बैंक कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अगर जनता ने भी सरकार के निजीकरण की नीति का विरोध नहीं किया और बैंकों को निजी हाथों में जाने दिया तो इसके दुष्परिणाम जनता को स्वयं भुगतना पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आज जो बैंकों के डिफाल्टर हैं कल वे ही बैंकों के मालिक बनकर बैठ जाएंगे, तब बैंकों की स्थिति क्या होगी, इसकी तस्वीर साफ नजर आ रही है। उन्होंने बैंक हड़ताल में आम नागरिकों से शामिल होकर निजीकरण का विरोध करने की अपील की है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

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