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देश में कस्तूरबा गांधी के योगदान को और अधिक समझने की आवश्यकता है : डॉ. राकेश पालीवाल

भोपाल, 26 फरवरी (हि.स.)। जिस कस्तूरबा को महात्मा गांधी अपना अंतिम गुरू मानते थे उस महान महिला को भारतीय समाज मात्र उनकी पत्नी के रूप में देखता है, जो कि उचित नहीं है। यह बात शुक्रवार को कस्तूरबा गांधी की स्मृति में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और गांधी भवन न्यास के संयुक्त आयोजन में डॉ. राकेश कुमार पालीवाल ने कही। गांधी वांड़्गमय के जानकार और म.प्र. छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य आयकर अधिकारी डॉ. राकेश कुमार पालीवाल ने कहा कि कस्तूरबा महात्मा गांधी के पहले और उनसे अधिक समय जेल में रही हैं, देश के एक स्वाधीनता सेनानी और एक आश्रम को-ऑर्डिनेटर के रूप में उनके योगदान को और अधिक समझने की आवश्यकता है। वहीं एडीजी (पुलिस) अनुराधा शंकर सिंह ने कस्तूरबा गांधी के अनछुए पहलुओं और प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कस्तूरबा एक आत्मबल वाली ऐसी महिला थीं जो अपनी मान्यताओं पर हमेशा अडिग रहीं जिनसे स्वयं बापू ने भी प्रेरणा ली। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि कस्तूरबा गांधी देश में महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं, क्योंकि कस्तूरबा की महिला शक्ति के बिना मोहनदास महात्मा गांधी नहीं बन सकते थे। हिन्दुस्थान समाचार/राजू

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